हरियाणा के सोनीपत में आंदोलनकारी किसानों ने पक्की दीवार खड़ी की तो पुलिस ने दो मामले दर्ज कर लिए। उधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों से दिल्ली की सीमाओं पर स्थायी ढांचे नहीं बनाने की अपील की है। किसानों से कहा गया है कि वो शांतिपूर्ण तरीके से अपने आंदोलन को जारी रखें। फिलहाल किसी निर्माण कार्य को न करें। आंदोलनकारी किसान नवंबर 2020 से ही दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान 109 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने प्रदर्शन वाली जगह पर पक्के घर बनाने शुरू कर दिए थे। सोनीपत में जीटी रोड के नजदीक किसानों ने ईंट-गारे से पक्का निर्माण शुरू किया था। सिंघु बॉर्डर पर धरने वाली जगह से आगे बढ़ने पर इन घरों को आसानी से देखा जा सकता है। उधर, पुलिस व प्रशासन को सूचना मिली तो रविवार को काम रुकवा दिया गया। पुलिस का कहना है कि सड़क पर कोई भी निर्माण अवैध है। बताया गया कि अभी तत्काकाल प्मरभाव से निर्माण कार्य रोक दिया गया है।

उधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारी किसानों से अपील की है कि किसान दिल्ली बॉर्डर के पास कोई स्थायी निर्माण कार्य न करें। बयान में यह भी कहा गया कि मोर्चे के कई नेता बंगाल गए हैं। वहां वे अपने आंदोलन के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। वो बंगाल के मतदाताओं से भाजपा को वोट नहीं देने की अपील करेंगे। मोर्चे के नेताओं का कहना है कि इस मामले पर बाद में सिलसिलेवार बैठक की जाएगी।

गौरतलब है कि किसान नेताओं ने दावा किया था कि तेज गर्मी की शुरुआत होने से पहले ऐसे 1000 से 2000 घर बना लिए जाएंगे। इनमें से ज्यादातर घर हरियाणा से सटे सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर बनने थे।​​​​​​ किसान सोशल आर्मी के नेता अनिल मलिक ने कहा था कि वो दिल्ली बॉर्डर पर मजबूत घर बनाएंगे। उन्हें भरोसा है कि एक दिन सभी कानून वापस होंगे। लंबी लड़ाई लड़ने के लिए हमें प्रदर्शनकारियों की सुविधाओं का भी ख्याल रखना होगा।

बीकेयू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी कहा था कि गर्मी बढ़ने पर प्रदर्शन स्थल पर एसी और कूलर का इंतजाम किसान करेंगे। उनका कहना था कि इसके लिए पहले यूपी सरकार से बिजली मांगेंगे और फिर दिल्ली सरकार से। अगर बात नहीं बनी तो किसान जेनरेटर लगाकर एसी चलाएंगे। उनका साफ तौर पर कहना था कि मांगें पूरी हुए बगैर किसान अपने घर नहीं लौटेंगे। उनका दावा है कि नवंबर तक सरकार पीछे हट जाएगी।