भारत में कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के बीच वैक्सीन और जीवनरक्षक दवाओं की कमी गंभीर समस्या बनती जा रही है। इतना ही नहीं कुछ राज्यों में तो ऑक्सीजन की कमी की वजह से भी मरीजों को तुरंत उपचार नहीं मिल पा रहा, जिससे मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है। इस बीच मध्य प्रदेश में तो ऑक्सीजन की कमी के चलते एक अस्पताल ने इलाज के लिए मरीजों के परीजन से लिखित मंजूरी लेना शुरू कर दिया है। यह अस्पताल राजधानी भोपाल का है। अकेले एक अस्पताल में नहीं, बल्कि राजधानी के दर्जनभर अन्य अस्पतालों का मरीज के परिजनों को साफ जवाब है- या तो अपना ऑक्सीजन सिलेंडर लाओ या मरीज को कहीं और ले जाओ।
जिस अस्पताल ने मरीज के परिजनों से इलाज के लिए लिखित आश्वासन लेना शुरू किया है, उसके संचालक का साफ करना है कि कोरोना की वजह से स्थिति काफी खराब है। घंटों लाइन में लगकर सिर्फ कुछ ही सिलेंडर मिल पा रहे हैं। ऐसे में दूसरों की जान की जिम्मेदारी कैसे ली जा सकती है। अस्पताल की ओर से मरीज के परीजनों को जो कंसेंट फॉर्म दिया जा रहा है। उसमें साफ लिखा है कि अस्पताल में ऑक्सीजन और रेमेडेसिविर ड्रग की शॉर्टेज है। अगर ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी अस्पताल की नहीं होगी।
ऑक्सीजन की कमी से मौतें: बता दें कि एक दिन पहले ही भोपाल में ऑक्सीजन न मिलने से पांच लोगों की मौत हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 20 से ज्यादा कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन को लेकर अफरा-तफरी मची है। कहा जा रहा है कि लोग रात में सिलेंडर कार, ऑटो में लेकर निकल रहे हैं। हालांकि, इस अफरा-तफरी के बीच भी ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत हो रही है।
महाराष्ट्र में भी ऑक्सीजन की कमी बड़ी समस्या: ऑक्सीजन की कमी का यह मुद्दा सिर्फ मध्य प्रदेश में ही नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र में भी लगातार मरीजों के बढ़ने के साथ ऑक्सीजन की कमी हो रही है। एक दिन पहले ही मुंबई के नालासोपारा के विनायक अस्पताल में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी की वजह से 7 कोविड मरीजों की मौत हो गई। महाराष्ट्र में 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। उत्पादन का 100 फीसदी यानि पूरे 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन कोरोना मरीजों के लिए इस्तेमाल हो रहा है। जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में 35 हजार मरीजों को फिलहाल ऑक्सीजन की जरुरत है।