नोएडा के एक युवक की पुलिस कस्टडी में हत्या के मामले में यूपी पुलिस के दो सब इंस्पेक्टरों समेत पांच कर्मियों की उस सजा को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है जो उन्हें ट्रायल कोर्ट से मिली थी। हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस वालों ने थाने का रिकॉर्ड को बदला पर वो सच नहीं छिपा सके।
हालांकि युवक का पिता हाईकोर्ट में चीख चीखकर गुहार लगाता रहा कि उसके बेटे को पुलिस ने जानबूझकर मारा है। उनको 302 (हत्या) के तहत सजा दी जाए। लेकिन हाईकोर्ट का कहना था कि युवक की मौत पुलिस वालों के हाथ से हुई इसमें कोई शक नहीं लेकिन उनको 302 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने सभी को 304 (लापरवाही से हत्या) का दोषी ठहराया।
सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद सुनवाई ट्रांसफर हुई थी यूपी से दिल्ली
खास बात है कि युवक सोनू की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसके मामले को यूपी से दिल्ली ट्रांसफर किया जाए। उसके बाद ये केस दिल्ली की अदालत के सुपुर्द किया गया। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई के बाद माना कि पांचों पुलिस कर्मी युवक की हत्या के दोषी हैं। लेकिन जो अपराध उन्होंने किया वो लापरवाही का परिणाम था। 14 मार्च 2019 को ट्रायल कोर्ट ने सभी को दस-दस साल की सजा सुनाई। एक इंस्पेक्टर को तीन साल की सजा सुनाई गई। उस पर आरोप था कि सोनू को उसने ही अगवा किया था। एक पुलिस अफसर को साक्ष्यों के अभाव में ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना- पुलिस की ज्यादती की वजह से गई युवक की जान
दोषी पुलिस अफसरों ने सजा को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनका कहना था कि सोनू ने पुलिस कस्टडी में खुदकुशी की थी। लिहाजा उन सभी को आरोप मुक्त करके बरी किया जाए। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद माना कि पुलिस के सभी अफसरों ने खुद को बचाने के लिए तमाम जालसाजियां तो की लेकिन वो सच को झुठला नहीं सके। इसमें कोई शक नहीं कि पांच अफसरों की ज्यादती की वजह से सोनू की जान गई थी।
नोएडा के सेक्टर 20 के थाने में की गई थी सोनू की हत्या
सोनू को डकैती के एक मामले में 1 सितंबर 2006 को पुलिस ने उठाया था। उसे एक प्राइवेट व्हीकल में नोएडा के सेक्टर 31 की निठारी चौकी में लाया गया। उसके बाद उसे 2 सितंबर को सुबह 3.25 बजे सेक्टर 20 के थाने में लाया गया। सुबह साढ़े पांच बजे उसकी मौत हो गई। मार्च 2019 में जिन पांच कर्मियों को सजा सुनाई गई उनमें एसआई हिंदवीर सिंह, महेश मिश्रा, कांस्टेबल प्रदीप, पुष्पेंद्र और हरिपाल सिंह शामिल हैं।
