केंद्र सरकार ने इसी महीने की एक तारीख से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ता (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) को बढ़ाने का ऐलान किया था। महंगाई भत्ते की दर को 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दिया गया। इसके बाद अब राज्य सरकारों ने भी केंद्र की इस स्कीम का फायदा अपने कर्मियों तक पहुंचाना शुरू कर दिया है। जिन राज्य सरकारों ने प्रस्ताव को मंजूरी दी है, उनमें ताजा नाम झारखंड का जुड़ा है। हेमंत सोरेन सरकार ने भी एक जुलाई 2021 से नए डीए को प्रभावी कर दिया।
झारखंड सरकार ने राज्य सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (डीए) 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में गुरुवार को इस आशय का निर्णय किया गया। केंद्र की तर्ज पर सबसे पहले राजस्थान सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को 11 फीसदी बढ़ाने का ऐलान किया था। यहां भी महंगाई भत्ते की बढ़ी हुई दर 1 जुलाई 2021 लागू की गई है। केंद्र के बाद राजस्थान सरकार ने सबसे पहले डीए बढ़ाया।
इसके बाद हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ा तोहफा दिया। यहां भी कर्मचारियों को डीए को 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया और बढ़ी हुई दरों को लागू किया गया। वहीं, कोविड से अभी तक जूझ रही कर्नाटक सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को बढ़ाने का निर्णय किया है। राज्य ने आखिरी बार अक्टूबर 2019 में 4.7 प्रतिशत डीए वृद्धि की घोषणा की थी, पर 2020 में कोविड-19 संकट ने सरकार के इस फैसले पर एक साल की रोक लगा दी थी।
केंद्र सरकार ने डेढ़ साल तक रोका बढ़ा डीए: सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने 14 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि डीए और डीआर में बढ़ोतरी से केंद्र सरकारी खजाने पर 34,401 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। दोनों जुलाई 2021 से प्रभाव में आएंगे। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सरकार ने डीए और डीआर की तीन अतिरिक्त किस्तों को रोक लिया था। ये किस्तें एक जनवरी, 2020, एक जुलाई, 2020 और एक जनवरी, 2021 से बकाया थीं।
एक बयान में कहा गया है कि इस बार बकाये का भुगतान नहीं किया जाएगा क्योंकि एक जनवरी, 2020 से 30 जून 2021 तक की अवधि के लिए डीए/डीआर दर मूल वेतन/पेंशन पर 17 प्रतिशत की दर पर बनी रहेगी। डीए और डीआर की बढ़ी दर का जुलाई 2021 से भुगतान किया जाएगा। महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दोनों के कारण राजकोष पर वित्त वर्ष 2021-22 (जुलाई, 2021 से फरवरी, 2022 तक आठ महीने की अवधि के लिए) में 22,934.56 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा और प्रति वर्ष 34,401.84 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।