1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मुस्लिम महिलाओं ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को चूड़ियां भेजी थी। यह दावा मुंबई पुलिस के पूर्व चीफ राकेश मारिया ने अपनी किताब ‘Let Me Say It Now’ में किया है। भारत में किसी पुरुष को चूड़ियां देना उसे अपमानित करने के जाने-माने तरीकों में से एक है। इसके जरिए पुरुषार्थ पर सवाल उठाए जाते हैं। किताब में दावा किया गया है कि बॉम्बे की मुस्लिम महिलाओं ने दाऊद को चूड़ियां भेजी थीं।

हालांकि यह कितना सही है और कितना नहीं इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता। क्या चूड़ियां सच में भेजी गई थी अगर हां तो क्या इसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिश थी। किताब में कहा गया है कि दाऊद ने बाबरी विध्वंस और दिसंबर में भड़के दंगों का बदला लेने के लिए आईएसआई के साथ मिलकर काम किया।

बाबरी विध्वंस और उसके बाद देशभर में भड़क दंगों के बाद आईएसआई का भारत में अशांति फैलाने का लक्ष्य आसाना हो गया था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने इन दंगों को और भड़काने के लिए मुंबई अंडरवर्ल्ड के अलग-अलग मुस्लिम डॉन का सहारा लिया। हथियारों, गोला-बारूद और धन के वितरण के लिए एक नेटवर्क तैयार किया गया। इसका सिर्फ एक मकसद था भारत की अखंडता और स्थिरता पर प्रहार।

नतीजन दिसंबर 1992 में दाऊद, टाइगर मेमन और मोहम्मद डोसा को साजिश रचने के लिए आईएसआई का साथ मिला और उसने सावधानीपूर्वक योजना बनाना शुरू कर दिया। साजिश का उद्देश्य भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा फैलाना था। मुसलमानों की सांप्रदायिक भावनाओं का इस्तेमाल कर भारत को खत्म करने की योजना बनाई गई। मुसलमानों को आतंकवादी कृत्यों का सहारा लेने के लिए उकसाया गया।