अयोध्या मामले में 40 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दशकों पुराने केस में फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले के तहत विवादित स्थल को राम मंदिर के हवाले कर दिया है। इसके साथ ही मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि अब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अपने बेंच के साथी जजों के साथ डिनर पर जाने वाले हैं। ‘द प्रिंट’ में छपी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारतीय न्यायपालिका के इतिहास के सबसे पुराने केस में फैसला देने के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, पीठ के साथी जजों को दिल्ली के एक फाइव-स्टार होटल में डिनर कराने ले जा रहे हैं।
पांच जजों की पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा न्यायमूर्ति एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर शामिल थे। सामूहिक रूप से सभी जजों ने अयोध्या मामले में अपना फैसला दिया। फैसले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को तीन महीने के भीतर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने को कहा है। इसके अलावा कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों के लिए मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन कहीं भी मुहैया कराने को कहा है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने असंतोष जाहिर किया है। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस फैसले पर अपना असंतोष व्यक्ति काय है। ओवैसी ने कहा कि देश का मुसलमान भीख मांगकर उत्तर प्रदेश में पांच एकड़ जमीन खरीद सकता है। मुसलमानों को पांच एकड़ की खैरात नहीं चाहिए।
वहीं, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। भागवत ने कहा कि सभी को कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए और झगड़ा और विवाद खत्म होना चाहिए। संघ प्रमुख ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च अदालत के फैसले को हार या जीत के नजरिए से नहीं देखना है।