भारतीय सेना ने गुब्बारे या आकाश में अन्य अज्ञात वस्तुओं जैसे नए खतरों से निपटने के लिए बुनियादी प्रोटोकॉल का एक सेट तैयार किया है सेना के शीर्ष अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एक साल पहले पहले सामरिक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर एक स्पाई बैलून दिखा था, जिसके बाद सेना ने यह फैसला किया।
यह प्रोटोकॉल किसी अज्ञात धीमी गति से चलने वाली हवाई वस्तु के देखे जाने की स्थिति में कार्रवाई के क्रम का विवरण देते हैं। इसमें एक उपयुक्त मंच और हथियार प्रणाली का उपयोग करके पता लगाना, सकारात्मक पहचान, सत्यापन और लक्ष्यीकरण शामिल है। इसके बाद लक्ष्य की विस्तृत फोटोग्राफी, उस पर एक व्यापक रिपोर्ट और अवशेषों का विश्लेषण करना शामिल है।
अधिकारियों ने कहा कि सैन्य कमानों में से एक द्वारा तैयार किए जा रहे त्रि-सेवा प्रोटोकॉल का सेट अपग्रेड के लिए खुला होगा। उन्होंने कहा कि पहले ही प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों पर कई राडार अपग्रेड किए जा रहे हैं। पिछले महीने संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक विशाल चीनी गुब्बारे को मार गिराया था, जिस पर उसने अपने महत्वपूर्ण सैन्य स्थलों पर जासूसी करने का आरोप लगाया था। F-22 लड़ाकू जेट से दागी गई AIM-9X सिडविंडर मिसाइल से अमेरिका ने गुब्बारे को मार गिराया था।
चीन ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि यह एक नागरिक विमान था जो मौसम संबंधी पहलुओं पर शोध करने के लिए था। कुछ दिनों बाद अमेरिका ने अपने स्वयं के हवाई क्षेत्र में कनाडा के ऊपर एक बेलनाकार आकार की वस्तु और एक अन्य अज्ञात हवाई वस्तु को मार गिराया था।
अधिकारियों के अनुसार अंडमान के ऊपर एक हवाई वस्तु देखे जाने के बाद भारत के प्रोटोकॉल का मसौदा तैयार किया गया था, हालांकि उस समय इसकी उत्पत्ति का पता नहीं लगाया जा सका था। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार सैन्य अधिकारियों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई पर निर्णय लेने से पहले वस्तु समुद्र के ऊपर से चली गई थी।
एक अधिकारी ने कहा, “मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार हवाई वस्तु की सकारात्मक पहचान और उसके किसी की संपत्ति होने की संभावना से इनकार करने के बाद ही उड़ने वाली वास्तु को मारा जायेगा। पहचानने और सत्यापित करने के बाद ऑब्जेक्ट को नष्ट करने का निर्णय लिया जाएगा। हथियार प्रणाली, जैसे कि मिसाइल या जमीन पर आधारित वायु रक्षा प्रणाली और तैनात किए गए विमान का चयन लक्ष्य की ऊंचाई के आधार पर किया जाएगा।”