तालिबान ने अफगानिस्तान में नई सरकार बनाने को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी है। तालिबानी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपनी योजना बताते हुए कहा कि कुछ सरकारी दफ्तरों में काम शुरू हो गया है। दूसरी तरफ पंजशीर घाटी से लगातार तालिबान को चुनौती मिल रही है। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी यहीं हैं। इसके अलावा अहमद मसूद के बेटे ने भी 9 हजार विद्रोहियों का मोर्चा संभाल रखा है।
अब तक भारत ने अफगानिस्तान के बारे में कोई स्पष्ट रुख नहीं अख्तियार किया है। इसी को लेकर भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि मोदी चुप रहकर केवल पाकिस्तान और तालिबान का हौसला ही बढ़ाएंगे। एक ट्वीट में स्वामी ने लिखा, ‘भारत सरकार को अमरुल्लाह सालेह और मसूद के बेटे की अगुवाई वाले स्वतंत्र अफगानिस्तान पर विचार करना चाहिए। वे अफगानिस्तान की घाटी में हैं और नॉर्दर्न अलायंस को लीड कर रहे हैं। अब चुप रहकर मोदी केवल पाकिस्तान और तालिबान का हौसला बढ़ाएंगे।’
‘अजेय’ रही है पंजशीर घाटी
तालिबान अब तक कभी पंजशीर घाटी में कब्जा नहीं कर पाया है। इस बार भी यहां की तस्वीरें सामने आ रही हैं। घाटी में अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह के नेतृत्व में जवान सैनिक वर्दी में जमा हो रहे हैं। वे आधुनिक उपकरणों से लैस दिखायी दिए। बता दें कि अमरुल्लाह सालेह पहले ही खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पंजशीर से जल्द ही तालिबान को बड़ी चुनौती मिलने वाली है।
पंजशीर को तालिबान ने घेरा, मसूद बोले नहीं करेंगे समर्पण
अफगानिस्तान में लोग तालिबान के खिलाफ वैसे भी विरोध प्रदर्शन करते नजर आ जाते हैं। जानकारी के मुताबिक तालिबान ने यह भी ऐलान किया है कि उसने पंजशीर में कब्जा करने के लिए लड़ाकों को भेजा है। वहीं मसूद ने कहा है कि वे तालिबान से युद्ध और बातचीत दोनों के लिए तैयार हैं।
अफगानिस्तान के बारे में अभी भारत का रुख स्पष्ट नहीं है लेकिन पीएम मोदी ने मंगलवार को कई बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों से इस मुद्दे को लेकर बात की। प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और रूस के राष्ट्रपति ब्लादमीर पुतिन पर भी इसको लेकर चर्चा की। वहीं यूएन में भारत के प्रतिनिधि ने कहा है कि भारत अफगानिस्तान में शांति और समृद्धि चाहता है।