लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर तेलुगु कवि वरवर राव की रिहाई के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की। राव को महाराष्ट्र में एल्गार परिषद्-माओवादियों से संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। चौधरी ने कहा कि 81 वर्ष की उम्र में राव ‘‘दुनिया के सबसे मजबूत देशों में एक के लिए खतरा नहीं हो सकते हैं।’’उन्होंने मोदी को लिखे पत्र में कहा, ‘‘81 वर्ष का एक व्यक्ति वर्षों से जेल में बंद है और उसे अपने अपराध का भी पता नहीं है। अब वह मानसिक रूप से ठीक भी नहीं हैं और उन्हें चिकित्सीय सहायता भी नहीं दी जा रही है।’’उन्होंने लिखा, ‘‘आप कृपया इस मामले में हस्तक्षेप करें और उनका जीवन बचाएं, अन्यथा हमारी भावी पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी।’’
राव और नौ अन्य कार्यकर्ताओं को एल्गार परिषद्-माओवादियों से संबंध के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। शुरू में इसकी जांच पुणे पुलिस कर रही थी लेकिन इस वर्ष जनवरी में जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी गई। मामला 31 दिसम्बर 2017 को एल्गार परिषद् के सम्मेलन में भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा हुआ था और पुलिस का दावा है कि उसके अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक पर इस कारण हिंसा भड़क गई। राव की तबियत खराब होने के बाद सोमवार की रात को उन्हें मुंबई के जे जे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
कवि एवं कार्यकर्ता वरवर राव को चक्कर आने की शिकायत के बाद मंगलवार को सरकारी जे जे अस्पताल में भर्ती कराया गया। राव (80) पिछले करीब दो साल से जेल में बंद हैं। उन्हें नवी मुंबई की तलोजा जेल में रखा गया है।कार्यकर्ता और उनके परिवार के सदस्यों ने दावा किया है कि वह कुछ समय से अस्वस्थ हैं और उन्होंने जेल प्राधिकारियों से उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सेवा मुहैया कराए जाने की मांग की थी। कार्यकर्ता के वकील आर सत्यनारायण अय्यर ने कहा, ‘‘राव को चक्कर आने के बाद सोमवार रात जे जे अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल उनकी कुछ जांचें कर रहा है।’’ राव ने अस्थायी जमानत का अनुरोध करते हुए सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और इसके लिए उन्होंने अपने बिगड़ते स्वास्थ्य एवं वर्तमान कोविड-19 महामारी का हवाला दिया था। कार्यकर्ता ने अदालत से यह भी अनुरोध किया था कि वह जेल प्राधिकारियों को उनका मेडिकल रिकार्ड पेश करने और उन्हें किसी अस्पताल में भर्ती कराए जाने का निर्देश दे।
राव ने अपने वकील आर सत्यनारायण अय्यर के माध्यम से उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की थीं। एक में विशेष एनआईए अदालत द्वारा 26 जून को उनकी जमानत याचिका खारिज किये जाने को चुनौती दी गयी थी, जबकि दूसरी याचिका में नवी मुम्बई की तलोजा जेल के अधिकारियों को उनका मेडिकल रिकार्ड पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया। यह मामला 31 दिसंबर, 2017 में पुणे के एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित उत्तेजक भाषण देने से जुड़ा है। पुलिस के अनुसार इसी के बाद अगले दिन कोरेगांव भीमा वार स्मारक के पास हिंसा हुई थी। पुलिस ने यह भी दावा किया था कि इस सम्मेलन का जिन लोगों ने आयोजन किया था, उनका कथित रूप से माओवादियों से संबंध था।
