Adani Group: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य सरकार से मुंद्रा बंदरगाह के पास 2005 में अडानी समूह की कंपनी को दी गई लगभग 108 हेक्टेयर चरागाह भूमि को वापस लेने की प्रक्रिया फिर से शुरू करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड की अपील पर गौर किया। साथ ही न्याय के हित में उक्त आदेश पर रोक लगा दी। पीठ ने कहा, “नोटिस जारी करें। आरोपित आदेश पर रोक लगाएं।”
अडानी पोर्ट्स को कच्छ क्षेत्र में 108 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी। गुजरात हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें भूमि आवंटन को चुनौती दी गई थी। PIL में स्थानीय समुदाय के लिए चारागाह भूमि के नुकसान का हवाला दिया गया है। आवंटन रद्द करने का निर्देश उस जमीन का दिया गया, जो 20 साल पहले अडानी ग्रुप को आवंटित की गई थी।
गुजरात सरकार ने शुक्रवार (5 जुलाई) को हाई कोर्ट को सूचित किया कि वह लगभग 108 हेक्टेयर गौचर भूमि वापस लेगी, जो 2005 में राज्य के कच्छ जिले में मुंद्रा बंदरगाह के पास अदाणी समूह की एक इकाई को दी गई थी। सरकार का यह निर्णय नवीनल गांव के निवासियों द्वारा अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड को 231 एकड़ गौचर भूमि आवंटित करने के निर्णय के खिलाफ हाई कोर्ट जनहित याचिका दायर करने के 13 साल बाद आया है।
हालांकि, राज्य राजस्व विभाग ने 2005 में आवंटन कर दिया था, लेकिन ग्रामीणों को इसके बारे में 2010 में पता चला जब एपीएसईजेड ने गौचर भूमि पर बाड़ लगाना शुरू किया। निवासियों के अनुसार, एपीएसईजेड को 276 एकड़ में से 231 एकड़ भूमि आवंटित करने के बाद गांव में केवल 45 एकड़ चारागाह भूमि ही बची है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह कदम अवैध है, क्योंकि गांव में पहले से ही चारागाह की कमी है। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि यह जमीन सार्वजनिक है और सामुदायिक संसाधन है।
गुजरात हाई कोर्ट ने 2014 में PIL का निपटारा कर दिया था, तब राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि उपायुक्त ने चरागाह के लिए 387 हेक्टेयर अतिरिक्त सरकारी भूमि देने का आदेश पारित किया था, जब ऐसा नहीं हुआ तो हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई। राज्य सरकार ने 2015 में कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दलील दी कि पंचायत को आवंटन के लिए उपलब्ध जमीन सिर्फ 17 हेक्टेयर है। इसके बाद राज्य सरकार ने शेष भूमि को लगभग 7 किलोमीटर दूर आवंटित करने का प्रस्ताव रखा, जो ग्रामीणों को स्वीकार्य नहीं था, क्योंकि उनका कहना था कि मवेशियों के लिए इतनी लंबी दूरी तय करना संभव नहीं है।
अप्रैल 2024 में चीफ सुनीता अग्रवाल और जस्टिस प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ ने राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) को समाधान निकालने का निर्देश दिया था। शुक्रवार को एसीएस ने हलफनामे के जरिए पीठ को बताया कि राज्य सरकार ने करीब 108 हेक्टेयर यानी 266 एकड़ गौचर भूमि वापस लेने का फैसला किया है, जिसे पहले एपीएसईजेड को आवंटित किया गया था।