कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट को फरमान दिया उसने 2017 के उस वाकये की याद दिला दी जिसमें इसी अदालत के जस्टिस सीएस कर्णन ने टॉप कोर्ट से पंगा लिया था। कणर्न ने तो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया समेत शीर्ष अदालत के आठ जजों को पांच साल की कैद की सजा भी सुना दी थी। लेकिन उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उनको छह महीने के लिए जेल जाना पड़ गया।
दोनों ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत हरकत में आते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट की तरफ से जारी फैसलों पर रोक लगाई। गंगोपाध्याय के केस में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ आगे क्या कदम उठाते हैं इसका आकलन अभी नहीं किया जा सकता। हालांकि ये बात साफ है कि शीर्ष अदालत को जस्टिस गंगोपाध्याय का रवैया रास नहीं आया है। टॉप कोर्ट ने जस्टिस गंगोपाध्याय के आदेश पर कहा भी कि ये अनुशासनहीनता है। इस तरह का आदेश एक विचाराधीन मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस को नहीं देना चाहिए था। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता भी उनके कदम से हैरान दिखे।
जस्टिस गंगोपाध्याय से सीजेआई ने छीना था अभिषेक बनर्जी का केस
जस्टिस गंगोपाध्याय के फैसले पर रोक लगाने के लिए आनन फानन में बैठी जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच के सामने तुषार मेहता ने माना कि कलकत्ता हाईकोर्ट को इस तरह का आदेश नहीं देना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने जस्टिस गंगोपाध्याय के उस आदेश पर स्टे लगा दिया जिसमें उन्होंने टॉप कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल से अपने टीवी इंटरव्यू से जुड़ा रिकार्ड तलब किया था। बेंच ने तीखी टिप्पणी भी की।
गंगोपाध्याय ने ये आदेश सीजेआई की बेंच के उस फैसले के बाद देर रात दिया जिसमें डीवाई चंद्रचूड़ ने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी से जु़ड़े पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती स्कैम के केस को हाईकोर्ट की दूसरी बेंच के सामने भेजने का आदेश दिया था। कुछ दिन पहले सीजेआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिट्रार जनरल को आदेश दिया था कि वो जस्टिस गंगोपाध्याय के उस इंटरव्यू का रिकार्ड सुप्रीम कोर्ट भेजें जिसमें वो केस के बारे में टीवी चैनल से बात करते दिखे थे। सीजेआई का मानना था कि विचाराधीन केस के बारे में न्यूज चैनल से बात करना सरासर गलत है।
कोर्ट रूम में बोले थे जस्टिस गंगोपाध्याय- सुप्रीम कोर्ट के जज करते हैं मनमानी
तब सीजेआई को ये भी बताया गया था कि एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गंगोपाध्याय ने यहां तक कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के जज मनमानी करते हैं। ये कोई जमींदारी है क्या। सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने सीजेआई से कहा था कि किसी और ने ऐसा कहा होता तो अवमानना में फंस जाता। सिंघवी का कहना था कि अभिजीत गंगोपाध्याय की सुप्रीम कोर्ट के जजों पर की गई टिप्पणी हाईकोर्ट के रिकार्ड में अभी तक मौजूद है।
कलकत्ता हाईकोर्ट के ही जस्टिस कर्णन ने 2017 में लिया था सुप्रीम कोर्ट से पंगा
जस्टिस कर्णन का सुप्रीम कोर्ट से पंगा भी अभिजीत गंगोपाध्याय की तरह से शुरू हुआ था। उन्होंने 2017 में सुप्रीम कोर्ट के 20 जजों पर करप्शन का आरोप लगा पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख दी थी। फिर अदावत आगे बढ़ती गई तो कलकत्ता हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेल्मेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्रा घोष, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आर भानुमती को पांच साल की सजा सुनाई गई थी। कर्णन के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आठ जजों ने जाति के आधार पर भेदभाव किया। सभी जजों को सजा के साथ एक लाख रुपए का जुर्माना देने के भी ऑर्डर दिए गए हैं।
सीजेआई समेत आठ जजों को सुनाई सजा तो कर्णन को जाना पड़ गया जेल
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस कर्णन की इस हरकत से बिफर गया। सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में कर्णन को 6 महीने की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि आदेश का फौरन पालन किया जाए। कर्णन ऐसे पहले जज थे जिन्हें पद पर रहते हुए सजा सुनाई गई। हालांकि उसके बाद वो फरार हो गए। पुलिस ने तलाश करती रही पर वो नहीं मिले। फिर मिले तो जेल गए और छह माह की सजा काटने के बाद फिर से बाहर निकले। लेकिन जस्टिस कर्णन का वाकया लंबे समय तक लोगों के जहन पर छाया रहा। अब जस्टिस गंगोपाध्याय ने भी उसी तरह की हरकत करके उस मामले को ताजा कर दिया।