Mahila Samman Yojana AAP: दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले एक बड़ा राजनीतिक तमाशा खड़ा हो गया है। तमाशा इस बात को लेकर है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पूरे जोश में आकर दिल्ली वालों के लिए दो योजनाओं का ऐलान किया था। इन योजनाओं का नाम संजीवनी और मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना है। लेकिन अब दिल्ली सरकार के दो विभागों की ओर से जारी किए गए विज्ञापनों की वजह से केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की फजीहत हो रही है।
आइए, आपको पूरा मामला विस्तार से समझाते हैं।
केजरीवाल ने ऐलान किया था कि राजधानी में अगर फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना को लागू किया जाएगा। इस योजना के जरिये महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये दिए जाएंगे। केजरीवाल ने यह भी ऐलान किया था कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में 60 साल से ज्यादा उम्र के बजुर्गों को मुफ्त इलाज मिलेगा। इसके लिए उनकी पार्टी की सरकार संजीवनी योजना को शुरू करेगी।
केजरीवाल के ऐलान के बाद इन दोनों ही योजनाओं को लेकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लोगों के बीच जाना शुरू कर दिया। आम आदमी पार्टी को इस बात की जोरदार उम्मीद थी कि उसे चुनाव में इन दोनों योजनाओं के ऐलान की वजह से फायदा मिलेगा।
लेकिन अचानक ही दिल्ली सरकार के विभागों की ओर से अखबारों में दो विज्ञापन जारी कर दिए गए। दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग की ओर से अखबारों में एक विज्ञापन जारी किया गया। इस विज्ञापन में कहा गया कि सोशल मीडिया के जरिए यह पता चला है कि एक राजनीतिक दल दिल्ली की महिलाओं को मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत हर महीने 2100 देने का दावा कर रहा है जबकि विभाग की ओर से यह स्पष्ट किया जाता है कि दिल्ली सरकार की ओर से ऐसी कोई भी योजना नोटिफाई नहीं की गई है। विज्ञापन में कहा गया है कि दिल्ली के लोग इन योजनाओं के नाम पर अपनी जरूरी या व्यक्तिगत जानकारी किसी को न दें।

दिल्ली के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने भी अपने विज्ञापन में कहा कि संजीवनी योजना जैसी किसी स्कीम को नोटिफाई नहीं किया गया है। विभाग की ओर से यहां तक कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति या कोई राजनीतिक दल संजीवनी स्कीम के नाम पर लोगों से फार्म भरवा रहा है तो यह पूरी तरह फर्जी है।
केजरीवाल, आतिशी आए सामने
ये विज्ञापन सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी के भीतर जबरदस्त हड़कंप मच गया। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, मुफ्त बस यात्रा जैसे बड़े काम कर रही है जबकि बीजेपी उनकी सरकार के कामों को रोक रही है। आतिशी ने कहा कि इस तरह के विज्ञापन पूरी तरह गलत हैं और इस मामले में एक्शन लिया जाएगा। आतिशी ने कहा कि महिला सम्मान योजना को लेकर दिल्ली की कैबिनेट में फैसला लिया जा चुका है और इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है।
निश्चित रूप से इससे अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के बाकी नेताओं का नाराज होना स्वाभाविक था। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि इन दोनों ही योजनाओं से बीजेपी के लोग बुरी तरह से बौखला गए हैं। केजरीवाल ने यह भी कहा कि अगले कुछ दिनों में फर्जी केस बनाकर आतिशी को गिरफ्तार किया जा सकता है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि वह दिल्ली की जनता को पूरा यकीन दिलाती है कि इन दोनों ही योजनाओं को लागू किया जाएगा।
बीजेपी ने बोला आप पर हमला
बीजेपी को जैसे ही सरकारी विभागों की ओर से जारी किए गए यह विज्ञापन मिले तो पार्टी के नेताओं ने सोशल मीडिया से लेकर प्रेस कांफ्रेंस के मंच तक केजरीवाल और आतिशी पर लोगों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि बिना नोटिफिकेशन के योजनाओं का ऐलान कर दिल्ली की सरकार जनता को खासकर महिलाओं और बुजुर्गों को गुमराह कर रही है। सचदेवा ने मुख्यमंत्री से पूछा कि वह इस बात को साफ करें कि क्या महिला सम्मान और संजीवनी योजना को दिल्ली सरकार से स्वीकृति मिल गई है?
सचदेवा ने कहा कि जिस तरह पंजाब में AAP ने महिलाओं को 1000 रुपये देने का झूठा वादा किया, उसी तरह दिल्ली में भी केजरीवाल ने झूठी स्कीम लाकर जनता को धोखा दिया है।
वित्त विभाग ने जताई थी चिंता
यहां यह भी बताना बेहद जरूरी होगा कि पहले महिला सम्मान योजना के तहत आम आदमी पार्टी ने महिलाओं को 1000 रुपये देने की बात कही थी लेकिन बाद में केजरीवाल ने इसे बढ़ाकर 2100 रुपये करने का ऐलान कर दिया। उस वक्त दिल्ली सरकार के फाइनेंस डिपार्टमेंट यानी वित्त विभाग ने इस योजना पर आने वाले खर्च को लेकर चिंता व्यक्त की थी।
विभाग ने कहा था कि अगर इस योजना को अमल में लाया गया तो दिल्ली सरकार के खजाने पर इसका बोझ पड़ेगा। फाइनेंस डिपार्टमेंट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर महिला सम्मान योजना को लागू किया गया तो सब्सिडी पर आने वाला खर्च 15% से बढ़कर 20% हो जाएगा और ऐसे में लोन लेकर इस योजना को लागू करना ठीक नहीं होगा।
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वित्त विभाग ने दिल्ली की मौजूदा आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए सरकार को सलाह दी थी कि जब तक एक ठोस योजना और रोडमैप तैयार न हो, इस योजना को न लाया जाए। लेकिन इसके जवाब में मुख्यमंत्री आतिशी ने वित्त विभाग की चिंताओं को ‘अड़चनें पैदा करने वाला रवैया’ बताया था।
तब सवाल उठा था कि वित्त विभाग की आपत्ति के बाद भी आतिशी सरकार इस योजना पर आगे क्यों बढ़ना चाहती है? इसके पीछे वजह यह है कि दिल्ली में 64 लाख महिला मतदाता हैं।
आतिशी सरकार का ऐसा अनुमान है कि महिला सम्मान योजना से 38 लाख महिलाओं को फायदा मिल सकता है। चुनाव के नजदीक आने को देखते हुए आम आदमी पार्टी इस योजना को हर हाल में लागू करना चाहती है क्योंकि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड में महिलाओं के लिए इस तरह की योजनाएं चलाने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों को चुनाव में जबरदस्त फायदा हुआ।

लगातार जीत रही आम आदमी पार्टी
साल 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन होने के बाद अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 28 सीटें जीत ली थी और तब कांग्रेस के आठ विधायकों के समर्थन से उसने दिल्ली में सरकार बनाई थी। हालांकि यह सरकार 49 दिन ही चली थी और केजरीवाल के इस्तीफा देने की वजह से गिर गई थी। लेकिन केजरीवाल ने इस गलती से सबक लिया और 2015 के चुनाव के बाद 2020 के चुनाव में भी धमाकेदार जीत दर्ज की।
दिल्ली में पिछले कुछ चुनावों के नतीजे
साल | बीजेपी को मिली सीटें | आप को मिली सीटें | कांग्रेस को मिली सीटें |
2013 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 31 | 28 | 8 |
2014 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
2015 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 3 | 67 | 0 |
2019 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
2020 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 8 | 62 | 0 |
2024 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
आम आदमी पार्टी का दावा है कि इस बार भी वह राजधानी में बड़ी जीत दर्ज करेगी और इसके लिए अरविंद केजरीवाल, आतिशी, मनीष सिसोदिया सहित पार्टी के तमाम बड़े नेता दिल्ली की सभी विधानसभा सीटों पर आम लोगों के बीच जा रहे हैं। लेकिन इन दोनों योजनाओं के ऐलान के बाद दिल्ली सरकार के विभागों ने ही आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार को बैकफुट पर ला दिया है।
बीजेपी ने जिस तरह इसे मुद्दा बना लिया है, उससे यह कहा जा सकता है कि इससे आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान लोगों के सवालों का जवाब देना भारी पड़ सकता है।