Manish Sisodia Jangpura Election 2025: आम आदमी पार्टी ने सोमवार को हैरानी भरा फैसला लेते हुए मनीष सिसोदिया की विधानसभा सीट को बदल दिया। पार्टी की ओर से जारी की गई लिस्ट के मुताबिक, सिसोदिया अब पटपड़गंज से नहीं बल्कि जंगपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। जैसे ही यह लिस्ट सामने आई, लोगों के मन में पहला सवाल यही उठा कि अरविंद केजरीवाल के बाद पार्टी में दूसरे सबसे बड़े चेहरे मनीष सिसोदिया की सीट बदलने की आखिर क्या जरूरत पड़ी?
आइए, हम आपको ऐसी कुछ वजहों के बारे में बताते हैं जिससे पार्टी को यह फैसला लेना पड़ा।
पटपड़गंज सीट से आम आदमी पार्टी ने इनफ्लुएंसर अवध ओझा को उम्मीदवार बनाया है।
मनीष सिसोदिया की बदली सीट, पटपड़गंज से अवध ओझा को मिला टिकट, AAP ने जारी की दूसरी लिस्ट

नजदीकी मुकाबले में जीते थे सिसोदिया
मनीष सिसोदिया की सीट बदलने के पीछे सबसे बड़ी वजह इस सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव का नतीजा है। पटपड़गंज सीट पर पिछली बार सिसोदिया बहुत ही कम अंतर से चुनाव जीते थे। तब सिसोदिया और बीजेपी के उम्मीदवार रविंद्र सिंह नेगी के बीच जीत का अंतर 3 हजार वोटों का रहा था। आम आदमी पार्टी में किसी ने यह उम्मीद नहीं की थी कि पटपड़गंज सीट पर चुनावी मुकाबला इतना करीबी होगा।
इस चुनाव नतीजे के बाद से ही मनीष सिसोदिया अपनी सीट पर काफी मेहनत कर रहे थे लेकिन शायद उन्हें ऐसा डर था कि इस बार उनके लिए चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है। इसकी एक बड़ी वजह पटपड़गंज सीट पर उत्तराखंड के मतदाताओं की अच्छी-खासी आबादी होना है।
बीजेपी नेता रविंद्र सिंह नेगी मूल रूप से उत्तराखंड से ही ताल्लुक रखते हैं। रविंद्र सिंह नेगी ने पिछला चुनाव हारने के बाद भी इस सीट पर अपनी सक्रियता बनाए रखी है। उन्होंने आप और अरविंद केजरीवाल को लगातार घेरा है।
18 महीने तक जेल में रहे सिसोदिया
सीट बदलने की दूसरी वजह सिसोदिया का लंबे वक्त तक जेल में रहना है। याद दिलाना होगा कि कथित आबकारी घोटाले में मनीष सिसोदिया 18 महीने तक जेल में रहे। जेल में रहने के दौरान वह अपनी विधानसभा सीट पर मतदाताओं से संपर्क नहीं कर सके हालांकि जमानत पर बाहर आने के बाद उन्होंने फिर से अपनी पकड़ को मजबूत करने की कोशिश की लेकिन शायद 18 महीनों की भरपाई कर पाना उनके लिए आसान नहीं था।
ऐसे में सिसोदिया को ऐसी सीट की तलाश थी, जहां पर आम आदमी पार्टी की जमीन मजबूत हो और वह आसानी से जीत दर्ज कर सकें क्योंकि उन्हें कुछ और सीटों पर भी पार्टी प्रत्याशियों के प्रचार के लिए वक्त देना पड़ेगा।
क्या जंगपुरा सेफ सीट है?
एक सवाल यह भी है कि सिसोदिया के लिए जंगपुरा की सीट को ही आखिर क्यों चुना गया? इसकी बड़ी वजह यह है कि जंगपुरा सीट पर 2015 और 2020 के चुनाव में आप का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। 2015 में यहां आप 20 हजार से ज्यादा और 2020 में 16 हजार से ज्यादा वोटों से जीती थी। ऐसे में पार्टी ने मनीष सिसोदिया के लिए इस सीट को काफी सेफ समझा।
आम आदमी पार्टी का मुख्य आधार केंद्र दिल्ली है। दिल्ली से बाहर निकलकर पार्टी ने पंजाब में भी सरकार बनाई है और साथ ही कई राज्यों में चुनाव लड़ा है लेकिन क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है और यहां पार्टी ने पिछले दो चुनाव बड़े अंतर से जीते हैं इसलिए पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बार भी दिल्ली में बड़ी जीत दर्ज करना चाहते हैं। केजरीवाल इसके लिए लगातार दिल्ली का दौरा कर रहे हैं और बहुत सोच-समझकर टिकट बांट रहे हैं।
दो बार बड़े अंतर से जीती है आप
दिल्ली में विधानसभा के चुनाव अगले महीने होने हैं। आम आदमी पार्टी 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से जीत दर्ज कर चुकी है। 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी लेकिन तब यह सरकार सिर्फ 49 दिन ही चल सकी थी और केजरीवाल के इस्तीफा देने की वजह से गिर गई थी।
केजरीवाल इस चुनाव को बेहद गंभीरता के साथ ले रहे हैं और पार्टी प्रत्याशियों के चयन में यह बात साफ दिखाई देती है। पिछले कुछ दिनों में पार्टी को चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। उसके कई नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। ऐसे नेताओं में पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत, विधायक ब्रह्म सिंह तंवर प्रमुख हैं। पूर्व मंत्री राज कुमार आनंद, पूर्व विधायक वीणा आनंद के साथ कुछ और नेता भी बीजेपी में शामिल हो गए थे।
विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल और अरविंद केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले दिलीप पांडे चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं।
दूसरी ओर, बीजेपी दिल्ली की सत्ता से अरविंद केजरीवाल को हटाना चाहती है। 2015 और 2020 के चुनाव में दिल्ली बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व और राष्ट्रीय नेतृत्व में भरसक कोशिश की। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित तमाम बड़े नेताओं ने पार्टी प्रत्याशियों के लिए धुआंधार चुनाव प्रचार किया था लेकिन पार्टी जीत दर्ज नहीं कर सकी थी।
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