आम आदमी पार्टी के पंजाब से विधायक और वरिष्ठ वकील एचएच फूलका ने गुरुवार (24 मई) को कहा कि अगर उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन करती है तो वह तुरंत इस्तीफा देकर अलग हो जाएंगे। फूलका वर्तमान में पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। उन्होंने साफ किया कि वह 1984 के सिख विरोधी दंगों में भूमिका के कारण कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाना चाहते हैं। यह मुद्दे उनके लिए सत्ता से बढ़कर है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में फूलका ने कहा,”मेरा नजरिया बिल्कुल साफ है। मैं कांग्रेस से रिश्ता नहीं रख सकता क्योंकि 1984 के सिख विरोधी दंगों का मामला मेरे लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण है और मैं उसके साथ कोई समझौता नहीं कर सकता। अगर आम आदमी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन करती है तो मैं उसी क्षण पार्टी से इस्तीफा देकर अलग हो जाऊंगा।” फूलका वर्तमान में 1984 के सिख विरोधी दंगों में लोगों को इंसाफ दिलवाने की जंग लड़ रहे हैं।
#WATCH: Aam Aadmi Party’s HS Phoolka says, ‘Issue of 1984 riots is most important for me, if there is any alliance with Congress it will mean Sikhs have forgiven Congress for 1984, something that cannot happen. If party (AAP) enters Congress-led alliance I’ll tender resignation.’ pic.twitter.com/GclTxZ99cz
— ANI (@ANI) May 24, 2018
आप नेता एचएस फूलका का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब बेंगलुरु में कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी एकता के नाम पर सभी विपक्षी दलों के मुखिया ने एकजुट होकर ताकत दिखाई थी। आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए गए थे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी भी वहां पर उपस्थित थे।
हाल ही में फूलका ने 1984 के सिख विरोधी दंगों की दोबारा जांच की मांग की थी। उनका कहना था कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों में उनके बेटे राजीव गांधी की क्या भूमिका थी? ये मांग उन्होंने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के बयान के बाद उठाई थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि राजीव गांधी कार चलाकर उन्हें एक सुरक्षाकर्मी के साथ उत्तरी और पश्चिमी दिल्ली के कई इलाकों में 1 नवंबर 1984 को ले गए थे। ये इंदिरा गांधी की हत्या का दिन था, दूसरे दिन पूरे देश में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। गौरतलब है कि इन दंगों में व्यापक हिंसा हुई थी। सिख समुदाय के हजारों लोगों को उन्मादी भीड़ ने मार डाला था।
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