AAP vs Congress in Delhi Election 2025: पिछले दो हफ्तों में चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कई बार दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस को ‘शून्य’ बताया है और आरोप लगाया है कि वह बीजेपी के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ रही है। लेकिन फिर भी वह कांग्रेस को लेकर थोड़ा परेशान दिखाई देती है। हैरान करने वाली बात यह है कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी बीजेपी के बजाय कांग्रेस पर ज्यादा नजर रख रही है जबकि दिल्ली की राजनीति के जानकार मानते हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी का मुकाबला बीजेपी से है न कि कांग्रेस से।
पिछले दो चुनावों में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला है लेकिन फिर भी अगर आम आदमी पार्टी को कांग्रेस से खतरा महसूस हो रहा है तो इसके पीछे कुछ ठोस वजह जरूर होगी।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 5 फरवरी को होना है और चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को आएंगे।
राहुल और केजरीवाल में भिड़ंत
बताना होगा कि विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी एक चुनावी जनसभा में अरविंद केजरीवाल पर जाति जनगणना के मामले में हमला बोल चुके हैं और तब केजरीवाल ने उनके इन हमलों का जवाब भी दिया था।

केजरीवाल और आतिशी के खिलाफ उतारे मजबूत उम्मीदवार
इसके अलावा कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं जैसे- राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को उनकी ही विधानसभा सीटों पर घेरने के लिए अपने बड़े नेताओं को नई दिल्ली और कालकाजी सीट से चुनाव लड़ाया है। केजरीवाल के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित जबकि आतिशी के खिलाफ महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा चुनाव लड़ रही हैं।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच चल रही इस लड़ाई के बाद इंडिया गठबंधन के भविष्य को लेकर भी तमाम बड़े सवाल राजनीतिक गलियारों में खड़े हुए हैं।
इन 10 सीटों को लेकर अलर्ट है AAP
70 सीटों वाली दिल्ली में लगभग 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां आम आदमी पार्टी कांग्रेस के चुनाव अभियान पर पैनी नजर रख रही है। इन 10 सीटों पर कांग्रेस आम आदमी पार्टी को टक्कर दे सकती है या उसका खेल बिगाड़ सकती है। इन सीटों में- ओखला, चांदनी चौक और बादली विधानसभा सीट भी शामिल है।

ओखला से कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ अहमद खान की बेटी अरीबा खान आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल आप के उम्मीदवार पुनरदीप सिंह साहनी के खिलाफ चांदनी चौक से चुनाव लड़ रहे हैं। पुनरदीप सिंह साहनी चांदनी चौक से मौजूदा विधायक प्रहलाद सिंह साहनी के बेटे हैं। बादली से दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव आम आदमी पार्टी के अजेश यादव के खिलाफ सियासी मैदान में जोर दिखा रहे हैं।
इसके अलावा भी मुस्लिम बहुल कुछ सीटों जैसे- बाबरपुर, सीमापुरी, सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान, करावल नगर में भी आम आदमी पार्टी को इस बात का डर है कि कांग्रेस उसे नुकसान पहुंचा सकती है।
…बीजेपी को मदद मिलेगी
आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हमारे लिए चिंता की बात यह नहीं है कि कांग्रेस चुनाव में कितनी सीटें जीतेगी बल्कि चिंता इस बात को लेकर है कि वह बीजेपी को मजबूत करने में मदद करेगी। बीजेपी पिछले 27 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर है। अगर कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ता है तो इससे बीजेपी को ही मदद मिलेगी।”
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2017 के एमसीडी चुनाव का दिया हवाला
आम आदमी पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि 2017 के एमसीडी चुनाव के नतीजों को देखें तो कहानी बहुत हद तक साफ हो जाती है। 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 54% वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को सिर्फ 10% वोट मिले थे लेकिन कांग्रेस ने 2 साल बाद यानी 2017 में हुए एमसीडी के चुनाव में 21% वोट हासिल किये जबकि आम आदमी पार्टी का वोट शेयर गिरकर 26% हो गया।
आम आदमी पार्टी के सूत्र ने बताया कि तब बीजेपी के वोट में सिर्फ 4% का इजाफा हुआ था लेकिन उसने एमसीडी चुनाव में जीत हासिल की थी।
विधानसभा और एमसीडी के चुनावों में राजनीतिक दलों को मिले वोट
चुनाव | आम आदमी पार्टी को मिले वोट (प्रतिशत में) | बीजेपी को मिले वोट (प्रतिशत में) | कांग्रेस को मिले वोट (प्रतिशत में) |
विधानसभा चुनाव 2013 | 25 | 33 | 29 |
विधानसभा चुनाव 2015 | 54 | 32 | 10 |
विधानसभा चुनाव 2020 | 54 | 39 | 4 |
एमसीडी चुनाव 2017 | 26 | 36 | 21 |
एमसीडी चुनाव 2022 | 42 | 39 | 12 |
AAP के लिए कठिन है चुनाव
आम आदमी पार्टी के लिए यह विधानसभा चुनाव 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले कठिन माना जा रहा है। पार्टी का मानना है कि अगर वह दिल्ली में 50 से ज्यादा सीटें जीत लेती है तो यह उसके लिए अच्छी स्थिति होगी लेकिन इससे कम सीटें मिली तो इससे पार्टी नेतृत्व की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बताना होगा कि पिछले कुछ महीनों में आम आदमी पार्टी को कई झटके लगे हैं। कथित आबकारी घोटाले के मामले में पार्टी के कई नेता जिसमें- अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह शामिल हैं, जेल जा चुके हैं। आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलोत सहित चार विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं।
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