AAP Candidates List Delhi Assembly Polls 2025: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने चुनावी इरादे साफ कर दिए हैं। केजरीवाल ने साफ संदेश दिया है कि वह दिल्ली का विधानसभा चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ने जा रहे हैं। दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनाव में लगातार बड़ी जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी की चुनावी तैयारियों को देखकर राजनीतिक विश्लेषक और दिल्ली की राजनीति की समझ रखने वाले लोग भी हैरान हैं क्योंकि चुनाव का ऐलान होने से काफी पहले ही केजरीवाल ने धुआंधार बैटिंग करते हुए सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं।
दूसरी ओर बीजेपी ने उम्मीदवारों के नाम का तो ऐलान नहीं किया उल्टा 8 दिसंबर से शुरू होने वाली परिवर्तन यात्रा को भी रद्द कर दिया। दिल्ली बीजेपी में इसे लेकर उधेड़बुन चल रही है कि वह चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ जाए या नहीं?
अरविंद केजरीवाल ने उम्मीदवारों के चयन में काफी सावधानी बरती है। कई नए लोगों को टिकट दिया है और बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट भी काटे हैं। जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली की सड़कों को नापना शुरू किया है।

केजरीवाल ने चौथी लिस्ट जारी होने के बाद इस बात को कहा कि पार्टी पूरे आत्मविश्वास और पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ रही है जबकि बीजेपी गायब है। उनके पास ना मुख्यमंत्री का चेहरा है, ना टीम है, ना प्लानिंग है और ना दिल्ली के लिए कोई विजन है। उनका केवल एक ही नारा है, केवल एक ही नीति है और केवल एक ही मिशन है – “केजरीवाल हटाओ”।
केजरीवाल ने कांग्रेस को दिया था झटका
केजरीवाल ने अपने चुनावी तेवरों को इस ऐलान के साथ जाहिर कर दिया था कि वह दिल्ली में अकेले ही चुनाव लड़ेंगे जबकि आम आदमी पार्टी उसी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है जिसकी अगुवाई मौजूदा वक्त में कांग्रेस कर रही है। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन उसका दोनों ही दलों को कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ और बीजेपी ने एक बार फिर दिल्ली की सभी सातों सीटों पर जीत दर्ज की थी।

साल 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन होने के बाद अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 28 सीटें जीत ली थी और तब कांग्रेस के आठ विधायकों के समर्थन से उसने दिल्ली में सरकार बनाई थी। हालांकि यह सरकार 49 दिन ही चली थी और केजरीवाल के इस्तीफा देने की वजह से गिर गई थी। लेकिन केजरीवाल ने इस गलती से सबक लिया और 2015 के चुनाव के बाद 2020 के चुनाव में भी धमाकेदार जीत दर्ज की।
साल | बीजेपी को मिली सीटें | आप को मिली सीटें | कांग्रेस को मिली सीटें |
2013 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 31 | 28 | 8 |
2014 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
2015 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 3 | 67 | 0 |
2019 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
2020 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 8 | 62 | 0 |
2024 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
आप को मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
अरविंद केजरीवाल ने न सिर्फ दिल्ली बल्कि पंजाब में भी 2022 के विधानसभा चुनाव की अगुवाई की और फ्रंट फुट पर आकर एक गैर हिंदी भाषी राज्य में अपनी पार्टी को बड़ी जीत दिलाई। इसी दौरान आम आदमी पार्टी ने गोवा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और कुछ अन्य राज्यों में अपने पांव फैलाने की कोशिश की और चुनाव लड़ा। पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर भारतीय निर्वाचन आयोग ने आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया। इन सब बातों को कहना इसलिए जरूरी है क्योंकि केजरीवाल ने यह साबित किया कि वह राजनीतिक रूप से काफी मजबूत हो चुके हैं और उन्हें राजनीति में नौसिखिया नहीं समझा जाना चाहिए जैसा उन पर कांग्रेस के नेता शुरुआती दिनों में आरोप लगाते थे। आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने से केजरीवाल के सियासी कद में भी इजाफा हुआ।

आतिशी को बनाया सीएम, महिला मतदाताओं पर किया फोकस
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें तब शुरू हुईं, जब बीजेपी ने केजरीवाल को दिल्ली में कथित शराब घोटाले का मास्टरमाइंड बताया। केजरीवाल और पार्टी के दूसरे बड़े चेहरे और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह कथित शराब घोटाले की वजह से काफी दिनों तक जेल में रहे। इस वजह से पार्टी और दिल्ली सरकार के कामकाज पर काफी असर पड़ा।
जब शराब घोटाले को लेकर बीजेपी केजरीवाल पर हमलावर हुई और उनका इस्तीफा मांगा तो केजरीवाल ने कुछ वक्त तक इंतजार किया और जेल से बाहर आकर मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। दिल्ली की राजनीति में महिलाओं की अहमियत और ताकत को समझते हुए उन्होंने अपनी भरोसेमंद सहयोगी आतिशी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी। महिला मतदाताओं पर फोकस करते हुए केजरीवाल ने दिल्ली में मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना की राशि को बढ़ाकर 1000 से 2100 रुपये करने का ऐलान कर दिया।
बीजेपी इस मामले में हताश दिखाई देती है कि क्या वह दिल्ली की सत्ता में कभी वापसी कर पाएगी? दिल्ली में जब पहली बार यानी 1993 में विधानसभा के चुनाव हुए थे तब बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला था। 1993 के बाद से 2013 तक दिल्ली में शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं और उसके बाद अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के दिल्ली में सरकार बनाने के सपनों को चूर-चूर कर दिया।

दो चुनाव में नहीं खुला कांग्रेस का खाता
दिल्ली में पिछले दो चुनाव के नतीजे स्पष्ट रूप से बताते हैं कि कांग्रेस राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगभग खत्म हो चुकी है। पिछले दोनों ही विधानसभा चुनाव में पार्टी यहां खाता भी नहीं खोल सकी और उसका वोट शेयर भी बुरी तरह गिर चुका है। हालांकि पार्टी खुद को जिंदा करने की कोशिश कर रही है लेकिन उसके पास कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है जो पार्टी को खड़ा कर सके। ऐसे में दिल्ली में सीधी लड़ाई बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच ही होने जा रही है।
केजरीवाल इस बात को जानते हैं कि बीजेपी उनकी पार्टी के नेताओं को तोड़ने की कोशिश कर रही है। आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के बगावती तेवर भी आम आदमी पार्टी के सामने एक चुनौती है। स्वाति मालीवाल ने पिछले कुछ दिनों में दिल्ली के मुद्दों को लेकर अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार को बुरी तरह घेरा है। बीजेपी स्वाति मालीवाल के बयानों को आधार बनाकर ही केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए चुनौती पेश कर रही है।
अमित शाह परख रहे चुनावी तैयारियां
सीधे और साफ शब्दों में कहें तो दिल्ली के पिछले दो विधानसभा चुनाव में आप को मिली प्रचंड जीत के सूत्रधार अरविंद केजरीवाल ही थे। बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के 2015 और 2020 के चुनाव में पूरी ताकत लगाने के बाद भी केजरीवाल ने दिल्ली में बीजेपी को दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंचने दिया था। केजरीवाल की जबरदस्त तैयारियों के सामने बीजेपी और कांग्रेस की चुनावी तैयारियां काफी कम दिखाई देती हैं। लेकिन अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बीजेपी की चुनावी तैयारियों को देख रहे हैं और संगठन के पेच कस रहे हैं।
माना जा रहा है कि बीजेपी भी जल्द ही अपने उम्मीदवारों के नामों की पहली लिस्ट जारी करेगी और चुनाव प्रचार को रफ्तार देगी। लेकिन पार्टी ने अगर ज्यादा देर की तो चुनाव में उसे नुकसान हो सकता है।
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