कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मुख्यारोपी विकास दुबे के कथित एनकाउंटर पर IndiaToday के न्यूज डायरेक्टर और Aajtak के एंकर राहुल कंवल ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कथित मुठभेड़ से 15 मिनट पहले स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के कर्मचारियों ने आज तक की गाड़ी को रोक दिया था, जो कि दुबे के साथ चल रही गाड़ियों के काफिले के पीछे ही थी।

कंवल के ट्वीट्स के मुताबिक, विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान हमारे संवाददाता काफिले के साथ-साथ चल रहे थे। रात 10.30 बजे राजगढ़ में यूपी एसटीएफ ने रिपोर्टर की कार रोकी और उनकी चाबी निकाल ली। ‘एनकाउंटर’ के ठीक 15 मिनट पहले काफिले के पीछे चल रही दूसरे पत्रकार की कार रोक दी गई। उसके बाद बूम।

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कंवल के अनुसार, “एनकाउंटर से पहले विकास दुबे एक टोल प्लाजा के कैमरे कैद हुआ, जिसमें वह टाटा सफारी में था। जो गाड़ी पलटी, जिसमें विकास दुबे के होने की बात कही जा रही है, वह महिंद्रा TUV 300 है। पुलिस ने अपना गेम प्लान छुपाने की भी कोशिश नहीं की। हद है!”

दरअसल, मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर से ‘धराया’ विकास दुबे को कानपुर लाया जा रहा था। एसटीएफ और पुलिस की गाड़ियों के काफिले के पीछे उस दौरान मीडिया की गाड़ियां भी थीं, जिनमें इंडिया टुडे ग्रुप की गाड़ी भी थी। गुरुवार रात साढ़े नौ बजे के आसपास गाड़ियों का काफिला तेल भराने के लिए शाहजहांपुर और पचोर के बीच रुका। इंडिया टुडे ग्रुप के हिंदी चैनल आज तक की गाड़ी भी वहां कुछ फुटेज लेने के लिए रुकी। पचोर के 10 किमी आगे आज तक की गाड़ी ओवरटेक कर एसटीएफ वालों ने रुकवाई और पत्रकारों की गाड़ी की चाबी निकाल ली।

चैनल के पत्रकार के अनुसार, एसटीएफ कर्मियों ने मां नर्मदा ढाबे के किनारे गाड़ी रुकवाई थी। फिर ड्राइवर से धक्का-मुक्की हुई थी, जिसके बाद कार की चाबी छीन ली गई थी। पत्रकार रवीश पाल सिंह ने इसके बाद एक सीनियर पुलिस वाले को फोन कर दखल देने के लिए कहा, जिसके बाद 61 किमी दूर इंडिया टुडे के एक दूसरे पत्रकार को चाबी लौटाई गई थी।

बाद में शुक्रवार सुबह यानी कि दुबे के एनकाउंटर वाले दिन भी मीडिया चैनल की गाड़ी को चेकिंग के नाम पर रुकवाया गया था। देखें, उस दौरान क्या हुआ थाः