वैश्विक आतंकी वित्तपोषण पर नजर रखने वाले निकाय FATF के एक उप-समूह ने मंगलवार को सिफारिश की कि आतंकवाद के वित्तपोषण पर काबू पाने में नाकामी के कारण पाकिस्तान को संदिग्ध सूची (ग्रे लिस्ट) में ही रखा जाए। सूत्रों के अनुसार, इस बाबत में अंतिम निर्णय 21 फरवरी को लिया जाएगा। यह निर्णय एफएटीएफ के अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आईसीआरजी) की बैठक में लिया गया। यह बैठक पेरिस में पूर्ण सत्र के दौरान हुई।

एक सूत्र ने कहा, “एफएटीएफ के उप-समूह आईसीआरजी की बैठक ने पाकिस्तान को “ग्रे लिस्ट” में ही बनाए रखने की सिफारिश की है। इस संबंध में अंतिम फैसला शुक्रवार को किया जाएगा जब एफएटीएफ पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों पर गौर करेगा।” एफएटीएफ की बैठक पाकिस्तान में आतंकवाद-निरोधी एक अदालत द्वारा 2008 के मुंबई हमले के सरगना और लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद को आतंकी वित्तपोषण के दो मामलों में 11 साल की सजा सुनाए जाने के एक सप्ताह बाद हो रही है।

जाहिर तौर पर पाकिस्तानी अदालत का फैसला एफएटीएफ और पश्चिमी देशों को खुश करने के लिए है ताकि देश “ग्रे लिस्ट” से बाहर निकल सके। भारत कहता रहा है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी समूहों को नियमित समर्थन देता है और उसका प्रमुख निशाना भारत है। भारत ने एफएटीएफ से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

पाकिस्तान ने हाल ही में एफएटीएफ को सूचित किया था कि जैश का संस्थापक मसूद अजहर और उसका परिवार “लापता” है। उसने दावा किया है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों में से सिर्फ 16 पाकिस्तान में थे और उनमें सात मर चुके हैं। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने और व्हाइट लिस्ट में शामिल होने के लिए 39 में से 12 वोट चाहिए। ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए उसे तीन देशों के समर्थन की जरूरत है। पिछले महीने बीजिंग में एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को निकाय के मौजूदा अध्यक्ष चीन के अलावा मलेशिया और तुर्की का समर्थन मिला।