बिहार के रहने वाले 97 साल के बुजुर्ग राजकुमार वैश्य नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से एमए की परीक्षा दे रहे है। राजकुमार ने साल 1938 में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। यूनिवर्सिटी अधिकारियों ने बताया कि राजकुमार ने एमए इकॉनोमिक्स पार्ट वन के एग्जाम में अंग्रेजी में लिखा और 23 शीट भरी हैं। वे पूरे तीन घंटे परीक्षा हॉल में बैठे रहे। उनके साथ परीक्षा देने वाले अधिकत्तर छात्रों की उम्र उनके पोते-पोतियों से भी कम थी। अधिकारियों ने साथ ही बताया कि जहां गर्म हवाएं लोगों को घर के अंदर रहने को मजबूर कर रही हैं, ऐसे में जब वे परीक्षा हॉल में पहुचें तो सब चौंक गए।

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वैश्य ने पिछले साल एमए इकॉनोमिक्स में एडमिशन दो वजह से लिया था। एक वजह थी उनकी मास्टर डिग्री हासिल करने की तमन्ना और दूसरी थी कि वे इकॉनोमिक्स पढ़कर यह पता लगाना चाहते हैं कि भारत गरीबी जैसी समस्याओं को सुलझाने में नाकाम क्यों है? उन्होंने बताया कि मैं अब मेरा सपना पूरा करने के नजदीक हूं।

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उत्तरप्रदेश के बरेली में 1 अप्रैल 1920 को पैदा हुए राजकुमार एक प्राइवेट कंपनी में जनरल मैनेजर के पद से साल 1980 में रिटायर हुए थे। उन्होंने 1938 में आगरा यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी और 1940 में लॉ की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने बताया कि परिवार की बढ़ती जिम्मेदारियों की वजह से वे मास्टर डिग्री हासिल नहीं कर पाए थे।

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राजकुमार अपने दूसरे बेटे संतोष कुमार के परिवार के साथ पटना की राजेंद्र नगर कॉलोनी में दस साल से रह रहे हैं। दस साल पहले उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। करीब 70 साल के उनके बेटे संतोष एनआईटी-पटना से रिटायर हैं, वहीं करीब 60 साल की संतोष की पत्नी भारती पटना यूनिवर्सिटी से रिटायर प्रोफेसर हैं।

राजकुमार शाकाहारी हैं और वे साधारण भारतीय भोजन पसंद करते हैं। वैश्य बताते हैं कि उन्होंने कभी भी तला हुआ भोजन नहीं खाया और जितना होता है उससे कम ही खाते हैं।