95 साल के एक स्वतंत्रता सेनानी को अपनी पेंशन का अधिकार पाने के लिए 40 साल कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। सोमवार (1 जुलाई) को दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दी। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस बुजुर्ग को मुकदमा खर्च के रूप में एक लाख रुपए दे। साथ ही, पेंशन का भुगतान भी करे।
कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की: न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने इस मामले में टिप्पणी करते कहा कि हम उन लोगों की पीड़ा भूल गए हैं, जिन्हें अज्ञान और कांट-छांट के कांटे इसलिए झेलने पड़े, ताकि वे अगली पीढ़ियों के लिए गुलाब के साथ लगे कांटों को हटा सकें और हमारे लिए चलने का रास्ता बना सकें। पीठ ने यह भी कहा कि शालीनता और जड़ता मानव जाति का आधार है। यह मामला इसका उत्कृष्ट उदाहरण है।
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यह है मामला: स्वतंत्रता सेनानी हीरा सिंह ने 1982 में स्वतंत्र सैनिक सम्मान (एसएसएस) पेंशन योजना के तहत पेंशन के लिए आवेदन किया था। तत्कालीन सरकार ने उनका दावा अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद हीरा सिंह ने कोर्ट की शरण ली थी। हाई कोर्ट ने इस मामले में विडंबना जताते हुए कहा कि अपना हक पाने के लिए इस बहादुर बुजुर्ग को 40 साल तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने उनका आवेदन जून 2007 में अस्वीकार किया। सरकार को यह कार्रवाई करने में ही 25 साल लग गए। पीठ ने यह भी कहा कि मार्च 1982 में दायर दावे को अस्वीकार करने में 25 साल की देरी करने के बावजूद सरकार के पास इसका कोई स्पष्टीकरण भी नहीं है।
4 सप्ताह में देनी होगी पूरी बकाया राशि: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 4 सप्ताह में हीरा सिंह की पेंशन की पूरी बकाया राशि का भुगतान करे। साथ ही, सरकार इस दौरान हीरा सिंह की पेंशन पर 12 प्रतिशत के सालाना ब्याज का भुगतान भी किया जाए।

