यूपी के बिजनौर कोषागार में पिछले 50 सालों से 73 किलोग्राम चांदी देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अमानत के तौर पर रखी गई है। आज के समय के हिसाब 73 किलो चांदी की कीमत 34 लाख के आसपास है। वहीं इसका इंदिरा गांधी से संबंध होने के चलते भी इसको लेकर गांधी परिवार की तरफ से कोई दावा नहीं किया गया है।
इंदिरा गांधी से कनेक्शन: दरअसल कालागढ़ डैम के शुरू होने से करीब दो साल पहले 1972 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी बिजनौर जिले के दौरे पर गई थीं। इस दौरान बिजनौर की जनता ने उन्हें चांदी से तौला था। चांदी करीब 64 किलो थी। इसके अलावा वहां के लोगों ने उन्हें उपहार स्वरूप कुछ और भी चीजें भेंट की थी। जिससे चांदी बढ़कर 73 किलो हो गई।
बता दें कि इन उपहारों को इंदिरा गांधी ने अपने साथ ले जाने से मना कर दिया था। ऐसे में यह अमानत के तौर पिछले 50 सालों से बिजनौर के कोषागार में सुरक्षित है। कोषागार के अधिकारियों की तरफ से चांदी को लौटाने के लिए कई पत्र भी लिखे गये लेकिन इनका कोई जवाब नहीं मिला।
जहां गांधी परिवार की तरफ से भी इसको लेकर कोई दावा नहीं किया गया है वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी निजी संपत्ति बताते हुए इसे लेने से मना कर चुका है। वहीं कोषागार अधिकारी इंदिरा गांधी के परिवार के सदस्यों को ही इसे देने की बात कह रहे हैं।
हालांकि कोषागार के नियमों के मुताबिक कोई भी निजी संपत्ति कोषागार में 1 साल से अधिक समय तक नहीं रखी जा सकती। लेकिन यह चांदी पिछले पचास सालों से बिजनौर कोषागार में रखी हुई है। इस चांदी को रखने के लिए हर साल इसका रिन्यूवल किया जाता है। ऐसे में संशय है कि इतनी मात्रा में चांदी पर गांधी परिवार दावा करता है या फिर यह जिला कोषागार में अमानत के रूप में ही रखी रहेगी।
वरिष्ठ कोषाधिकारी सूरज कुमार का कहना है कि इस चांदी को कोषागार के डबल लॉक में रखा गया है। इसको लेकर शासन से मार्गदर्शन भी मांगा गया कि इसका क्या किया जाये। लेकिन इसपर किसी ने आजतक क्लेम नहीं किया है।