सुप्रीम कोर्ट के सात रिटायर्ड जज और हाईकोर्ट के 2 रिटायर्ड जजों सहित 131 हस्तियों ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्विट्स करने के आरोप में 22 जुलाई को अवमानना की कार्यवाही को लेकर नोटिस जारी किया था।
बुधवार को जस्टिस रूमा पाल, जी.एस.सिंघवी, ए.के. गांगुली, गोपाला गौड़ा, आफताब आलम, जस्ती चेलमेश्वर और विक्रमजीत सेन ने एकजुटता प्रदर्शित करते हुए 27 जुलाई को जारी किए गए बयान पर हस्ताक्षर किए। बयान में भूषण के खिलाफ शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही वापस लेने का आह्वान किया और कहा है कि ये कार्यवाही आलोचना की गला घोटने जैसी कोशिश है। हस्तियों ने कहा है कि न्याय, निष्पक्षता के साथ अदालत की गरिमा को बरकरार रखने के लिए हम शीर्ष अदालत से गुजारिश करते हैं कि वह प्रशांत भूषण के खिलफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों के अलावा हाईकोर्ट के भी 2 पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अंजना प्रकाश और जस्टिस एपी शाह भी प्रशांत भूषण के समर्थन में आए हैं। जस्टिस अंजना प्रकाश पटना हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रही हैं वहीं जस्टिस एपी शाह दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रहे हैं और इनका नाम भी हस्ताक्षरकर्ताओं की शुरुआती सूची में शामिल है।
इसके अलावा इतिहासकार रामचंद्र गुहा लेखक अरुंधति रॉय, कार्यकर्ता हर्ष मंडेर और वकील इंदिरा जयसिंग सहित कई अन्य लोगों ने भी इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। बता दें शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण के दो ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान लिया है और उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करते हुए नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने कहा कि उनके बयानों से प्रथमदृष्टया ‘न्याय के प्रशासन की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है।’ न्यायालय ने इस मामले में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से सहयोग करने का भी अनुरोध किया था। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने प्रशांत भूषण को नोटिस जारी करते हुए उनसे इस संबंध में विस्तृत जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को होगी।