बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि गत 25 अप्रैल को रिक्टर पैमाने पर 7.9 तीव्रता वाले आए भूकंप से प्रदेश में मरने वालों की संख्या बढ़कर अब 57 हो गयी है जबकि घायलों की संख्या 200 पहुंच गयी है।

गत 21 अप्रैल को प्रदेश के विभिन्न जिलों में आए चक्रवाती तूफान एवं ओलावृष्टि तथा गत 25 अप्रैल को आए भूकंप के कारण प्रदेश में उत्पन्न हालात और उसके लिए राहत एवं बचाव कार्यों की यहां समीक्षा और आवश्यक निर्देश देने के बाद पत्रकारों से नीतीश ने कहा कि मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित जिलों में चलाए जा रहे राहत और बचाव की निगरानी करने के लिए लगाया गया है।

आपदा प्रबंधन विभाग के नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के मुताबिक भूकंप के कारण पूर्वी चंपारण जिला में 11, दरभंगा और सीतामढ़ी में 7-7, अररिया 6, शिवहर, सीवान और लखीसराय में 3-3, सुपौल, मधुबनी और सहरसा में 2-2 तथा गया, नालंदा, पश्चिम चंपारण, कटिहार, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और पटना जिला में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गयी है।

नीतीश ने कहा कि भूकंप के कारण इस प्रदेश में मरने वाले, पड़ोसी देश नेपाल में मरने वाले बिहार वासियों तथा नेपालवासी जो कि अपने रिश्तेदारों से मिलने बिहार आए हुए थे जिनकी भूकंप से मौत हो गयी है उनके आश्रितों को अनुग्रह के तौर पर राज्य सरकार की ओर से 4-4 लाख रुपये दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भूकंप प्रभावित नेपाल से रक्सौल पहुंच रहे भारतीयों के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं।

नीतीश ने कहा कि पूर्वी चंपारण जिला के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक स्वयं वहां राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं तथा नेपाल से पहुंचने वाले भारतीय नागरिकों के खानपान की व्यवस्था किए जाने के साथ उनको उनके घरों के लिए भेजने का प्रबंध कर रहे हैं।

आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने बताया कि राज्य सरकार ने नेपाल से सड़क के जरिए सोमवार सुबह रक्सौल पहुंचे 150 भारतीय नागरिकों को विभिन्न ट्रेनों से उनके घर के लिए भेजने की व्यवस्था की है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि नेपाल के काठमांडो स्थित बिहार के सिंचाई विभाग के कार्यालय को निर्देशित किया गया है कि वह भूकंप से उत्पन्न स्थिति का मुकाबला करने के लिए पड़ोसी देश को सहयोग करने के लिए भारतीय दूतावास के साथ समन्वय स्थापित करें।

उन्होंने कहा कि भूकंप के कारण नेपाल में ध्वस्त हुई विद्युत व्यवस्था की मरम्मत के लिए बिहार के अभियंता और बिजलीकर्मी वहां जाने को तैयार हैं।

नीतीश ने कहा कि भूकंप के कारण प्रदेश की राजधानी पटना सहित राज्य के अन्य भागों में भवनों और मकानों को पहुंची क्षति और दरारों के बारे में सूचना मिलने पर भवन निर्माण विभाग के अभियंता और आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मी उन्हें देख रहे हैं तथा आवश्यक कदम उठा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि किसी भवन या मकान के मापदंडों के अनुसार अधिक क्षतिग्रस्त होने पर उसमें रहने वालों को वहां नहीं रहने तथा किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर जाने का सुझाव दिया जा रहा है।

नीतीश ने कहा कि गत फरवरी और मार्च महीने में बेमौसम वर्षा और उसके बाद गत 21 अप्रैल को आए चक्रवाती तूफान और ओलावृष्टि से तथा गत 25 अप्रैल को आए भूकंप से हुए जान-माल की क्षति तथा फसलों के नुकसान के सर्वेक्षण का काम जारी है।

उन्होंने सर्वे रिपोर्ट के आधार पर क्षतिग्रस्त हुए मकानों की मरम्मत के लिए पीडित परिवारों को राशि उपलब्ध करायी जाएगी।

नीतीश ने भूकंप के बाद के झटकों (आफ्टर शॉक्स) के कारण अपने-अपने घरों को छोडकर राजधानी पटना के गांधी मैदान, इको पार्क और कृष्णा पुरी पार्क सहित अन्य स्थानों पर पिछले दो दिनों से स्वयं जाकर वहां शरण लिए लोगों से मुलाकात करने के साथ जिला प्रशासन को उन स्थलों पर पेयजल और रौशनी के समुचित प्रबंध किए जाने का निर्देश दिया था आज फिर लोगों से अपील की है कि वे दहशतजदा होने के बजाए सतर्क रहें।

इस बीच पटना जिला के बिहटा स्थित एनडीआरएफ की 9वीं बटालियन के कमांडेंट विजय सिन्हा ने बताया कि 45 बलों वाली एनडीआरएफ की टीम रक्सौल में नेपाल से लौट रहे लोगों की मदद कर रही है।

उन्होंने बताया कि किसी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ की चार अन्य टीमें पूरी तरह से संबंधित इलाकों में जाने के लिए तैयार है।

नेपाल से सटे बिहार के एक अन्य जिले सीतामढ़ी में भूकंप की आशंका से भयभीत लोग डुमरा हवाई अड्डा, रघुनाथ झा स्कूल सहित अन्य स्थानों पर खुले में रह रहे हैं। जिला प्रशासन ने इनके लिए पेयजल और जेनरेटर की व्यवस्था की है। सीतामढ़ी में भी 25 अप्रैल को आए भूकंप के कारण बड़े पैमाने पर जान-माल की क्षति हुई थी।

दरभंगा के जिलाधिकारी कुमार रवि ने बताया कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आपातकाल, सर्जिकल और आर्थोपेडिक वार्डों का भवन पुराना होने तथा उसकी स्थिति बेहतर नहीं होने के मद्देनजर वहां भर्ती मरीजों को शहर के अन्य अस्पतालों में भेजा गया है।

वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नेपाल के सीमावर्ती भूकंप प्रभावित बिहार के सीतामढ़ी और शिवहर जिलों का दौरा करने के बाद बताया कि इन इलाकों में क्षतिग्रस्त और ध्वस्त हुए हजारों मकानों का सर्वेक्षण कराकर राज्य सरकार प्रभावित लोगों को सहायता राशि प्रदान करे।

उन्होंने कहा कि सीतामढी जिला के परसौनी प्रखंड में परशुराम गांव के करीब 500 लोग काठमांडों में फंसे हुए हैं जिन्हें हवाई उडानों से लाने की राज्य सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए।

केंद्रीय पेट्रोलियम राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि आपदा की घडी में नेपाल को भारत की ओर से पेट्रोलियम पदार्थों की बिलकुल कमी नहीं होने देंगे।

पूर्वी चंपारण जिले में भूकंप से सबसे अधिक 11 लोगों की मौत हुई है, प्रभावित लोगों से मिलने पहुंचे धर्मेंद्र ने कहा कि नेपाल को पेट्रोल, डीजल एवं एलपीजी की आपूर्ति इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के द्वारा किया जाता है जिसका डिपो (भंडारण) भारत-नेपाल सीमाई शहर रक्सौल में है। वे रक्सौल स्थित पेट्रोलियम डिपो की समीक्षा भी करेंगे।

उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश नेपाल में आये भूकंप की वजह से वहां पेट्रोलियम पदार्थों की खपत बढ़ी है जिसकी समीक्षा के बाद नेपाल को पेट्रालियम पदार्थों की आपूर्ति बढ़ाई जायेगी।

धर्मेंद्र ने कहा कि नेपाल भारत का भाई व मित्र देश है। उसे भारत सरकार सभी तरह की मदद कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं नेपाल को भेजे जाने वाले राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि काठमांडों हवाई अड्डे पर विमानों का आवागमन काफी बढ़ गया है। अभी भी नेपाल में भारतीय श्रमिक, पर्यटक एवं तीर्थयात्री बड़ी संख्या में फंसे हैं जिन्हें सकुशल भारत लाया जायेगा।