25 Years of Kargil War: देश शुक्रवार को 25वां विजय दिवस मनाने जा रहा है। कारगिल की लड़ाई में हमारे देश के वीरों ने ये दिखा दिया कि अगर दुश्मन हमारे वतन की तरफ आंख उठाकर देखेगा तो उसे मिट्टी में मिला दिया जाएगा। भारत के इस शौर्य और पराक्रम से पूरा देश परिचित है। पाकिस्तानी सैनिकों की कोशिशों को विफल करने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया गया था। हालांकि, इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि आखिर भारत के सैनिकों को इस बात का पता कैसे चला कि पाकिस्तानी घुसपैठिए भारत की सीमा में घुस गए हैं।
पाकिस्तानी घुसपैठ के बारे में कैसे पता चला
पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल में अपने ठिकाने बना लिए थे। 8 मई 1999 को पाकिस्तान की 6 नॉर्दर्न लाइट इंफैंट्री के कैप्टन इफ्तेखार और लांस हवलदार अब्दुल हकीम 12 सैनिकों के साथ कारगिल की आजम चौकी पर कब्जा जमाए बैठे हुए थे। उन्होंने देखा कि भारत के चरवाहे अपनी भेड़ और बकरियों को चरा रहे हैं। उनके बीच में काफी देर चर्चा हुई।
पाकिस्तानी सैनिक आपस में चर्चा करने लगे कि क्यों ना इन्हें बंदी बना लिया जाए। लेकिन फिर बाद में उन्हें लगा कि अगर इनको बंदी बनाया गया तो वह उनका राशन खा जाएंगे। पाकिस्तानी सैनिकों ने उनको जाने दिया। कुछ देर बाद ये चरवाहे इंडियन आर्मी के 6-7 जवानों के साथ वहां पर लौटे और पाकिस्तान के नापाक इरादों की पोल खुल गई।
भारत सरकार को जब घुसपैठ की सूचना मिली तो पाकिस्तान के सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया गया। कारगिल की लड़ाई शुरुआत में तो भारत के लिए काफी कठिन लग रही थी। लेकिन बोफोर्स और एयरफोर्स की एंट्री के बाद ऑपरेशन में जान पड़ गई। बोफोर्स तोपों के हमले तो इतने खतरनाक और सटीक थे कि पाकिस्तानी चौकियां पूरी तरह से तबाह हो गई थीं। भारतीय सैनिकों के जोश के आगे पाकिस्तानी सैनिकों की एक भी नहीं चल पा रही थी।
पाकिस्तान ने टेके घुटने
कारिगल के युद्ध में भारत ने अपना बहुत कुछ खो दिया था, लेकिन पाकिस्तान को भी पूरी तरह बर्बाद कर दिया था। इस जंग में भारत के करीब 527 जवान बलिदान हो गए थे। वहीं पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के मुताबिक, उनके करीब 2700 से 400 सैनिकों की जान चली गई थी। भारत ने न सिर्फ लाइन ऑफ कंट्रोल पर पाकिस्तान को धूल चटाई, बल्कि समुद्र में भी पाकिस्तान की नाकेबंदी कर दी। इससे उसका समुद्री व्यापार प्रभावित हुआ और बाद में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने माना कि अगर भारत के साथ युद्ध और आगे चलता तो उनके पास सिर्फ छह दिन का तेल बचा हुआ था। भारत से हुई करारी हार के बाद नवाज शरीफ की सरकार को हटाकर परवेज मुशर्रफ सत्ता में आ गए।