गृह मंत्रालय ने 2012 दिल्ली गैंगरेप केस के दोषियों में से एक की दया याचिका शुक्रवार को राष्ट्रपति के पास भेजी थी, जिसे रामनाथ कोंविंद ने खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने याचिका को अस्वीकार करने की सिफारिश की थी।
ताजा मामले में समाचार एजेंसी ANI ने गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि दिल्ली गैंगरेप केस में चारों में से एक दोषी की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है। राष्ट्रपति भवन ने इस बाबत मंत्रालय को जानकारी भी साझा कर दी है।
इससे पहले, न्यूज एजेंसी PTI-Bhasha की रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से बताया गया था, ‘‘गृह मंत्रालय ने चारों में से एक दोषी की दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी है। मंत्रालय ने याचिका को अस्वीकार करने की दिल्ली के उप-राज्यपाल की सिफारिश दोहराई है।’’
दरअसल, दिल्ली के उप-राज्यपाल ने गुरुवार को इसी दोषी की दया याचिका गृह मंत्रालय को भेजी थी, जिसके एक दिन पहले दिल्ली सरकार ने याचिका अस्वीकार करने की सिफारिश की थी।
बता दें कि दिल्ली की एक अदालत ने मामले के चारों दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा पर अमल का आदेश ‘‘डेथ वॉरंट’’ सात जनवरी को जारी किया था। चारों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी होनी है।
हालांकि, दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं हो पाएगी क्योंकि चारों में से एक दोषी ने दया याचिका दायर की है।
‘आरोप-प्रत्यारोप के बीच फंसी हूं’: इसी बीच, पीड़िता की मां ने राजनीतिक दलों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कुछ लोग ‘राजनीतिक लाभ’ के लिए उनकी बेटी की मौत का सहारा ले रहे हैं और यही वजह है कि दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने में ‘देरी’ की जा रही है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान पीड़िता की मां ने अपील की कि पीएम मोदी 2014 में प्रचार के दौरान किया अपना वादा पूरा (महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा) करें और दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दिलवाना सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा, “2012 में जिन लोगों ने इस घटना (गैंगरेप केस) का सड़कों पर आकर विरोध किया था, वे ही अब राजनीतिक फायदे के लिए मेरी बेटी की मौत का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में मैं आरोप-प्रत्यारोप के खेल के बीच फंसा महसूस कर रही हूं।”