1993 Serial Blasts Case: अजमेर की एक टाडा कोर्ट ने गुरुवार को 1993 सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में अब्दुल करीम ‘टुंडा’ (80) को बरी कर दिया। जबकि दो अन्य आरोपियों इरफान (70) और हमीदुद्दीन (44) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
6 दिसंबर, 1993 को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों में दो लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए थे। टुंडा को 2013 में भारत-नेपाल सीमा के पास उत्तराखंड के बनबसा से गिरफ्तार किया गया था, जबकि इरफान और हमीदुद्दीन को 1994 में गिरफ्तार किया गया था।
टुंडा के वकील शफ़क़र सुल्तानी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, ”टुंडा पर देश के कई हिस्सों में कुल 32 मामले थे, जिनमें से 28 मामलों में उसे बरी कर दिया गया था। तीन और मामले लंबित हैं – एक मामला पटियाला में है जिसके लिए टुंडा को आजीवन कारावास की सजा दी गई है।
हालांकि, अजमेर मामला टाडा के तहत एकमात्र मामला था और शेष लंबित मामले आईपीसी के तहत हैं। अजमेर से उन्हें गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश ले जाया जाएगा, जहां आगे की कार्यवाही होगी।
सुल्तानी ने कहा कि टुंडा को गुरुवार को आईपीसी की धारा 302 और 307, टाडा की विभिन्न धाराओं, शस्त्र अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति क्षति अधिनियम और रेलवे संपत्ति क्षति अधिनियम से बरी कर दिया गया। सुल्तानी ने आगे कहा कि सीबीआई ने अपनी जांच में कई खामियां छोड़ी हैं।
सुत्लानी ने कहा, ‘सीबीआई टुंडा के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने टुंडा के खिलाफ अपराध साबित करने के लिए पूरक आरोप पत्र भी पेश नहीं किया। गिरफ्तारी ज्ञापन न्यायालय में पेश नहीं किया गया। न ही कोई पूछताछ नोट या जांच नोट या कोई इकबालिया बयान था।’
सुल्तानी ने कहा कि जब फैसला सुनाया गया तो टुंडा ने जज को धन्यवाद देते हुए कहा, “अल्लाह आपको आशीर्वाद दे और आपको समृद्ध जीवन दे।” इरफान और हमीदुद्दीन के वकील अब्दुल राशिद ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
राशिद ने कहा, ‘हमारा अगला कदम सुप्रीम कोर्ट में अपील करना होगा। हमीदुद्दीन 14 साल से और इरफान करीब 16-17 साल से जेल में हैं। इरफान भी 70 फीसदी लकवाग्रस्त हैं। दोनों को 1994 में गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन इरफ़ान 2000 में छिप गया था, जब वह पैरोल पर बाहर था। उन्हें 2013 में फिर से गिरफ्तार किया गया था। दोनों के खिलाफ कोई अन्य मामला लंबित नहीं है, इसलिए वे अजमेर जेल में रहेंगे।’
सीबीआई की ओर से पेश हुए वकील भवानी सिंह ने कहा कि हम अब्दुल करीम टुंडा को बरी करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।