Spinal Muscular Atrophy: अखबारों के जरिए हम हर दिन अपने आसपास होने वाली निगेटिव खबरों से रूबरू होते हैं। इस बीच केरल से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिससे पढ़ने का बाद आप कहेंगे- इंसानियत, अभी जिंदा है। केरल में 15 महीने का एक बच्चा निरवाण स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी से जूझ रहा है। इस बीमारी में जो दवा दी जाती है उसकी कीमत 17.5 करोड़ रुपये है। इलाज के खर्चे के बारे में सुनकर परिवार के होश उड़ गए। ऐसे में एक अनजान शख्स उनकी जिंदगी में फरिश्ता बनकर आया, जिसने निरवाण के इलाज के लिए 11 करोड़ रुपये दान किए।
निरवाण के माता पिता सारंग मेनन और अदिति नायर को जब एसएमए बीमारी के बारे में पता चला, तो उन्होंने ‘मिलाप’ के जरिए क्राउड फंडिंग का फैसला किया। इसके जरिए उन्होंने 19 फरवरी तक 5.42 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। 20 फरवरी को उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिए घोषणा की कि उन्हें 1.4 मिलियन डॉलर यानी कि 11 करोड़ रुपये का दान किया गया है। हालांकि, वे भी नहीं जानते कि यह दान किसने किया है। इसके लिए उन्होंने मिलाप संस्था से भी संपर्क किया, जिन्होंने कहा कि डोनर अपनी पहचान नहीं बताना चाहते हैं।
क्राउडफंडिंग में 72,000 लोगों ने दिया दान
सारंग मेनन एक इंजीनियर हैं और केरल के पलक्कड़ में रहते हैं। उन्होंने ने बताया, “हम नहीं जानते कि इतनी बड़ी राशि किसने दान में दी है। ये हमारे लिए एक चमत्कार की तरह है। मैं दिन में कम से कम 10 बार मिलाप चेक करता था, ये पता करने के लिए कि किसी की तरफ से कोई दान दिया गया है और जब कल मैंने चेक किया तो देखा कि किसी ने काफी राशि दान की है। जब मैंने मिलाप से इसके बारे में पूछा तो, उन्होंने बताया किसी एक शख्स ने यह राशि दान की है, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान उजागर करने से मना किया है।” निरवाण के लिए अभी तक 72,000 लोग जान कर चुके हैं, जिनमें वह अनजान शख्स भी शामिल हैं।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) एक जेनेटिक बीमारी है, जिसमें मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। मोटर न्यूरॉन्स की गिरावट के कारण यह मांसपेशियों को कमजोर और शरीरी के बढ़ने की गति को कम कर देता है। यह बीमारी दैनिक गतिविधि जैसे कि सांस लेना और भोजन निगलने को काफी कठिन कर देता है। अगर इसका समय पर इलाज ना हो तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
भारत में मौजूद नहीं SMA के इलाज में दी जाने वाली दवा Zolgensma
निरवाण की बीमारी के बार में 13 जनवरी को पता चला था। इसके लिए उसका परिवार केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज से भी मिला। स्वास्थ्य मंत्री ने परिवार को राज्य सरकार की तरफ से मदद का आश्वासन दिया था। इस बीमारी में इस्तेमाल की जाने वाली दवा Zolgensma भारत में फिलहाल उपलब्ध नहीं है। मेडिकल प्रीसक्रिप्शन पर इसका अमेरिका से निर्यात किया जाता है। यह दुनिया की सबसे महंगी दवा है, जिसकी कीमत 2 मिलियन डॉलर है।
माना जा रहा है, यह पैसा अमेरिका में रहने वाले एक केरलवासी ने भेजा है। इस शख्स ने क्राउडफिंडिंग एजेंसी को बताया, “मुझे मीडिया के जरिए बच्चे की बीमारी के बारे में पता चला था, मुझे लगा कि इसके लिए मदद करनी चाहिए। मैं फेम के लिए यह डोनेशन नहीं दे रहा हूं। यहां तक कि बच्चे के परिवार तक को मेरा नाम नहीं पता है। बच्चे की जिंदगी महत्वपूर्ण है, मेरा नाम नहीं।”