राहुल गांधी कांग्रेस की कमान संभालने को तैयार हैं, राज्य सभा में नए चेहरे चुने जाने हैं और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की ओवरहॉलिंग भी चल रही है, लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस कम से कम पांच राज्यों में आंतरिक कलह, बागियों से जूझ रही हैं। चिंता की बात यह है कि इनमें से चार राज्यों में अगले दो साल में चुनाव होने हैं।
इन सभी राज्यों के कांग्रेस नेताओं का एक ही कहना है- पार्टी लीडरशिप के साथ उनकी कोई बात ही नहीं होती। मंगलवार को पार्टी को त्रिपुरा से बुरी खबर मिली जब 6 विधायकों ने पार्टी छोड़ टीएमसी ज्वाइन कर लिया। उत्तराखंड में भी कुछ ऐसे ही हालात थे, जहां अदालत को हस्तक्षेप करके कांग्रेस की सरकार बहाल करनी पड़ी थी।
त्रिपुरा में विधायकों का इस्तीफा, कांग्रेस महासचिव गुरुदास कामत के इस्तीफे के बाद आया है। कामत पार्टी में दरकिनार कर दिए गए थे और पार्टी नेतृत्व ने उनकी बात नहीं सुनी।
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The Indian Express से बात करते हुए उत्तराखंड कांग्रेस चीफ किशोर उपाध्याय ने कहा कि अगर “राज्य के शासकों” ने पार्टी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया तो राज्य में कांग्रेस का वही हश्र होगा जैसा यूपीए का हुआ था। उपाध्याय मुख्यमंत्री हरी श रावत के करीबी माने जाते हैं और उनका सार्वजनिक रूप से ऐसा कहना साफ बताता है कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है।
त्रिपुरा में, कांग्रेस ने मुख्य विपक्षी दल का तमगा इसलिए खो दिया क्योंकि पूर्व नेता विपक्ष सुदीप रॉय बर्मन ने पार्टी छोड़ दी। वह पिछले दो साल में पार्टी छोड़ने वाले कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक हैं। उनसे पहले हरियाणा से चौधरी बिरेंदर सिंह, तमिलनाडु जीके वासन और जयंती नटराजन, आंध्र प्रदेश से बोचा सत्यनारायण और डी श्रीनिवास, उत्तरखंड से विजय बहुगुणा, अरुणाचल प्रदेश से कलिको पुल, असम से हेमंत बिश्व शर्मा, महाराष्ट्र से कामत, छत्तीसगढ़ से अजीत जोगी और उत्तर प्रदेश से बेनी प्रसाद वर्मा कांग्रेस से नाता तोड़ चुके हैं। त्रिपुरा कांग्रेस में फूट पड़ने के बाद आनन-फानन में कांग्रेस सचिव भूपेन बोरा को हालात संभालने के लिए अगरतला भेजा गया है।
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हाई-प्रोफाइल नेताओं के पार्टी छोड़ने की वजह से, वरिष्ठ नेताओं ने तुरंत किसी कदम उठाए जाने की वकालत की है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यब्रत चतुर्वेदी ने बताया, “2014 की हार के बाद हम यह मानकर चल रहे थे कि संगठन को फिर से खड़ा किया जाएगा और पार्टी नई थीम और नए नेतृत्व के साथ लौटेगी। इससे काडर में भी उत्साह पैदा होता और लोगों में भी उम्मीद बढ़ती कि पार्टी अपनी गलतियों को सुधार रही है। ऐसा नहीं हुआ, किसी ना किसी वजह से निर्णय लेने में समस्या हुई।”
मेघालय में असंतुष्ट विधायक पार्टी हाईकमान से जवाब की उम्मीद कर रहे हैं मगर कांग्रेस वी नारायणसामी के बाद राज्य का नया मुखिया नहीं तैनात कर पाई है। नारायणसामी अब पुदुचेरी के मुख्यमंत्री बन गए हैं।
जोगी के नई पार्टी बनाने की घोषणा करने के बाद मंगलवार को कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है। जोगी और कांग्रेस के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा था, वह राज्य सभा के लिए नामित किए जाने की उम्मीद कर रहे थे। वह छत्तीसगढ़ कांग्रेस का साम्राज्य भी हासिल करना चाहते थे।
दूसरी तरफ, कामत का बाहर जाना उनकी मुंबई कांग्रेस प्रमुख संजय निरुपम से लम्बी चली कलह की वजह से हुआ। सूत्रों का कहना है कि वह भी राज्य सभा नामांकन चाह रहे थे जोकि पूर्व वित्तमंत्री पी चिदम्बरम को मिल गया।