भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के जेल गए 100 दिन से ज्यादा का वक्त हो चुका है। एक अंग्रेजी अखबार ने जेल सूत्रों के हवाले से बताया है कि चिदंबरम अपना वक्त किताब-अखबार पढ़ने, डायरी लिखने, साथी कैदियों को मुफ्त कानूनी सलाह देने और जेल अधिकारियों और तमिलनाडु पुलिस की एक टीम के साथ बातचीत करके गुजार रहे हैं।
तमिलनाडु पुलिस की यह टीम तिहाड़ जेल की सिक्योरिटी की इंचार्ज है। जेल के एक सीनियर अधिकारी के हवाले से अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ ने बताया कि चिदंबरम जेल अधिकारियों और स्टाफ के साथ बेहद विनम्र बर्ताव करते हैं। वह अपना बहुत ज्यादा वक्त किताबें और अखबार पढ़ने में गुजारते हैं। इसके अलावा, एक डायरी लिखते हैं और साथी कैदियों को मुफ्त कानूनी सलाह देते हैं।
अधिकारी के मुताबिक, बातचीत के दौरान चिदंबरम बहुत सारे मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं। इनमें अर्थव्यवस्था की गिरती सेहत, बढ़ती बेरोजगारी और वर्तमान शासन के तहत कथित नफरत की राजनीति से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। अधिकारी के मुताबिक, चिदंबरम बेहद पुख्ता दलीलें देते हैं और उनको सुनना काफी कुछ सिखाता है।
अधिकारी के मुताबिक, चिदंबरम अपने केस के बारे में भी बात करते हैं और बताते हैं कि वह कैसे नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘राजनीतिक बदले’ का शिकार बन गए। चिदंबरम को भरोसा है कि उन्हें न्याय जरूर मिलेगा। बता दें कि सीनियर कांग्रेसी नेता चिदंबरम को सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तर किया था और उन्हें 6 सितंबर को तिहाड़ जेल भेजा गया था।
जेल सूत्रों के मुताबिक, उन्हें जेल नंबर 7 के एक 15 फीट लंबे और 10 फीट चौड़े सेल में अकेले रखा गया है। उनकी कोठरी में बिस्तर, तकिया, एक टीवी और वेस्टर्न टॉयलेट है। दूसरे कैदियों की तरह ही चिदंबरम को भी जेल की लाइब्रेरी का इस्तेमाल करने की इजाजत है। चिदंबरम सुबह और शाम टहलने जाते हैं और अपनी कोठरी के अंदर ध्यान भी लगाते हैं।
एक अधिकारी के मुताबिक, चिदंबर के टहलने के दौरान चार से पांच पुलिसवाले उनके साथ होते हैं और उनकी सुरक्षा का ख्याल रखते हैं। सूत्रों का कहना है चिदंबरम को पीठ में दर्द के अलावा कई तरह की बीमारियां हैं और उनका वजन घट गया है। शुरुआत में उन्हें तकिया नहीं दिया गया, जिसकी वजह से उनकी पीठ का दर्द बढ़ गया। चिदंबरम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में शिकायत किए जाने के बाद उन्हें कुर्सी दी गई। शुरुआत में उन्हें जेल का खाना खाना पड़ा, लेकिन बाद में उन्हें स्वास्थ्य के मद्देनजर घर के खाना खाने की इजाजत मिल गई।