जिग्नासा सिन्हा
16 December Nirbhaya Case: यह 16 दिसंबर 2012 की बात है जब एक युवा पैरामेडिकल छात्रा और उसका दोस्त फिल्म ‘लाइफ ऑफ पाई’ देखने के लिए दक्षिण दिल्ली के सिनेमा हॉल में गईं। वापस लौटते समय वे मुनिरका से एक प्राइवेट बस में सवार हो गए। बस के अंदर इस 23 वर्षीय युवती का छह लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया और उसे उसके दोस्त के साथ बस के बाहर फेंक दिया। इस छात्रा ने कुछ दिनों के बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस घटना का पूरे देश में जमकर विरोध हुआ। साल 2013 में केंद्र सरकार ने ऐसी महिलाओं की मदद करने के लिए ‘निर्भया फंड’ की शुरुआत की थी। इस फंड को बने हुए 10 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक इसमें आवंटित राशि का आधा हिस्सा भी उपयोग नहीं किया गया है।

MoWCD के मुताबिक 9,176 करोड़ में से 3,069 करोड़ खर्च हुए

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MoWCD) के अनुसार, इसकी स्थापना के बाद से ‘निर्भया फंड’ के तहत 9,176 करोड़ रुपये की 35 परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया है। मार्च 2022 तक, फंड के लिए 6,260 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, अधिकारियों का कहना है कि 4,340 करोड़ रुपये विभिन्न विभागों और राज्यों को जारी किए गए हैं जबकि 3,069 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अगस्त में एक लिखित जवाब में बताा है, “हो सकता है कि वास्तव में ज्यादा पैसों का उपयोग किया गया हो, लेकिन सामान्य वित्तीय नियमों के प्रावधानों के अनुसार उपयोगिता प्रमाण पत्र और खर्च के विवरण संबंधित राज्यों के कार्यान्वयन एजेंसियों ने साझा नहीं किए हैं।

लगभग सभी States से निर्भया फंड के लिए जारी जाते हैं पैसे

इस योजना के पहले पांच वर्षों में निधि के तहत लगभग 3,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। मंत्रालयों और राज्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे राशि का उपयोग बुनियादी ढांचे में सुधार और महिलाओं की सुरक्षा के लिए परियोजनाओं पर काम करने के लिए करें। महामारी के बाद से 2,905 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए गए हैं। मंत्रालय ने निर्भया फंड के तहत सभी पहलों के लिए 2019-22 की समयावधि के दौरान विभिन्न राज्यों को वितरित राशि को भी दर्ज किया। उत्तर प्रदेश और दिल्ली में प्रत्येक को 300 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए गए। मध्य प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में प्रत्येक को लगभग 120 करोड़ रुपये जारी किए गए।

इस Fund को Finance Ministry और MoWCD करते हैं नियंत्रित

निर्भया फंड के लिए ‘स्वीकृत ढांचे’ के तहत, केंद्र सरकार ने कहा: “सड़कों पर, सार्वजनिक परिवहन में और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार अक्सर होता है।” निर्भया फंड को नॉन-लैप्सेबल फंड के रूप में लॉन्च किया गया है जिसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और वित्त मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

Urban और Rural क्षेत्रों में अलग-अलग सुविधाएं

अब तक भारत में 708 केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं। सखी केंद्र या वन-स्टॉप सेंटर एक प्रमुख परियोजना है जहां शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को चिकित्सा, कानूनी, पुलिस सेवा और परामर्श सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इस परियोजना के लिए 860 करोड़ से अधिक का आवंटन किया गया था, जिसे संकट में और हिंसा का सामना कर रही महिलाओं की मदद करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। अब तक कुल 758 साक्षी केन्द्र स्वीकृत किए जा चुके हैं।

Delhi ने सबसे ज्यादा 413 करोड़ में से 404 करोड़ खर्च किए

जुलाई 2021 के डेटा से यह भी पता चलता है कि विभिन्न राज्यों ने किस तरह से धन का उपयोग या कम उपयोग किया है आंध्र प्रदेश में स्वीकृत 112 करोड़ रुपये में से 38 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया था। बिहार में यह आंकड़ा 41%, झारखंड में 48%, मध्य प्रदेश में 55%, महाराष्ट्र में 52% और उत्तर प्रदेश में 62% है। दिल्ली में 413 करोड़ रुपये में से 404 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।