लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर कोर्ट परिसर में वकील की हत्या जैसी आपराधिक घटनाओं को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी पार्टियां सरकार को घेर रही हैं और उन्हें उनके ‘रामराज्य’ के वादे की याद दिला रही हैं। खुद योगी आदित्यनाथ तमाम मंच पर कहते आए हैं कि उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद या तो गुंडे-बदमाश प्रदेश छोड़ गए या जेल में हैं। आपराधिक घटनाओं को रोकने में नाकाम अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई का भी आश्वासन देते रहे हैं। हालांकि हाल की घटनाओं के बाद विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार जिम्मेदार प्रशासनिक अफसरों को बचा रही है।

‘ट्रांसफर में नहीं विश्वास’: इसी बीच सीएम योगी का एक पुराना वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें वे अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग जैसे मुद्दों पर बात करते दिख रहे हैं। एक महिला उनसे सवाल करती है, ‘मेरा योगी जी आपसे छोटा सा यही सवाल है कि चाहे वो सरकार के किसी भी विभाग में काम करते हो, IAS-PCS अधिकारी ही क्यों न हो। जब भी वो कोई गलत काम करता है तो उसे ट्रांसफर क्यों देते हैं? निलंबित क्यों नहीं करते?’

इस सवाल के जवाब में मुस्कुराते हुए योगी आदित्यनाथ जवाब देते हैं, ‘जब मैंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और एक महीने तक कोई ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं की तो लोग कहने लगे कि ये तो कोई काम ही नहीं कर रहे हैं। हमने कहा कि काम करने दो। हम लोगों ने देखा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग जरूरी है तो हमने इसे करना शुरू किया। हम पहले इस बात की चेतावनी भी दे चुके हैं कि ट्रांसफर-पोस्टिंग में हम लोगों का विश्वास नहीं है। जरूरत पड़ेगी तो घर भेजने की तैयारी करेंगे और पूरी तरह करेंगे। बहुत जल्द ऐसी कार्रवाई को हम अंजाम देने वाले हैं।’

अधिकारियों को मिला नोटिस: हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता दर्शन कार्यक्रम में सभी जिलाधिकारी और एसपी को 10 से 12 बजे तक दफ्तर में रहने के निर्देश दिए थे। लेकिन बाद में हुई जांच में कुछ अधिकारियों द्वारा इस निर्देश की अनदेखी की रिपोर्ट सामने आई थी। सीएम को मिली शिकायत के बाद जनता दर्शन के दौरान डीएम, एसएसपी और एसपी के ऑफिस में कॉल किया गया था, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया था। अब ऐसे सभी अधिकारियों की पहचान कर योगी सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। इसमें 14 डीएम और 16 एसपी को नोटिस भेजा गया है।