उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि अगर यूपी में बीजेपी की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही बनेंगे। दूसरी तरफ, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि वह इस बार छोटे दलों के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे। कानपुर गोलीकांड के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद विरोध दल योगी सरकार पर ‘ब्राह्मण विरोधी’ होने का आरोप लगा रहे हैं। एक इंटरव्यू में वरिष्ठ पत्रकार अंजना ओम कश्यप ने इस पर सीएम योगी से सवाल भी पूछा था।
अंजना ओम कश्यप ने सवाल किया था, ‘जातियों में ब्राह्मणों की नाराजगी, मैं आपकी जाति की बात नहीं कर रही हूं और उसका असर नहीं बता रही हूं। इस बार ब्राह्मण काफी नाराज़ लग रहा है। ऐसा लग रहा है कि आपको ये पूरा विश्वास है कि ये ‘अगड़ी जाति’ तो हमारे लिए वोट करेगी।’ इसके जवाब में योगी मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘देखिये, यूपी की जनता वंशवाद और जातिवाद से उठ चुकी है। दूर की बात थी और 1990 की त्रासदी को यूपी की जनता भूली नहीं है। वंशवाद और जातिवाद की उस राजनीति ने यूपी की जनता के सामने पहचान का संकट दे दिया था।’
योगी का जवाब: योगी आदित्यनाथ आगे कहते हैं, ‘पहचान का संकट हमारे युवाओं के सामने सबसे ज्यादा आया था। जिन लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, संसद शुरू होने से पहले मंत्रियों का परिचय प्रधानमंत्री द्वारा करवाया जाता है। मोदी जी के हम लोग आभारी हैं कि उनके पिछड़े तबके को अपने मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा जगह दी। हमें ब्राह्मण चेहरे से नहीं वो व्यक्ति चाहिए जो प्रदेश का विकास कर सकता हो। कल, अखिलेश यादव जी कहने लगें कि हम बीजेपी जॉइन करना चाहते हैं तो हम बिल्कुल मना नहीं करेंगे।’
एक अन्य इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ से खुशी दुबे को लेकर भी सवाल पूछा गया था। उन्होंने कहा था, ‘मैं अपने प्रदेश में रहने वाले हर व्यक्ति को जानता हूं। एक-एक व्यक्ति का परिचय अपने पास रखता हूं। किसी के भी बारे में पूछ लीजिए मैं सबके बारे में बता दूंगा। अगर मुद्दा खुशी दुबे का उठाया जाता है तो मुद्दा तो संतोष शुक्ला का भी उठना चाहिए। डिप्टी एसपी मिश्रा का भी उठना चाहिए, उनकी दो नाबालिग बालिकाएं अनाथ हुई हैं। अगर एक डिप्टी एसपी मारा जाता है तो वो सही है, लेकिन हम कार्रवाई करें तो गलत हो जाता है।’