योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) दूसरी बार देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। वह 25 मार्च को लखनऊ के इकाना स्टेडियम में पीएम नरेंद्र मोदी समेत तमाम हस्तियों की मौजूदगी में शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण की तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं। योगी की ताजपोशी को खास बनाने के लिए राज्य सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था तो शुरुआती तस्वीरों में योगी का नाम तक नहीं था। सीएम की रेस में मनोज सिन्हा जैसे कई नेताओं के नाम गिनाए जा रहे थे। बाद में बीजेपी नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ को गद्दी सौंप सबको चौंका दिया था।

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कुर्सी संभालते ही दिये थे 2 आदेश: योगी आदित्यनाथ जब सीएम बने तो उन्होंने फौरन दो बदलाव किए। पहला- सरकारी दफ्तरों में पान, गुटखा और तंबाकू जैसे उत्पादों को बैन कर दिया। शुरुआत अपने दफ्तर से की। दूसरा- ऐसे अफसर-कर्मचारी जो दफ्तर देरी से आते थे या पहले निकल जाते थे, उनके लिए वर्किंग आवर्स का पालन अनिवार्य कर दिया। चर्चित लेखक शांतनु गुप्ता योगी आदित्यनाथ की बायोग्राफी ‘द मॉन्क हू बिकम चीफ मिनिस्टर’ में लिखते हैं, ‘गद्दी संभालने ही योगी ने सरकारी दफ्तरों में पान-तंबाकू पर बैन वर्किंग आवर्स को कड़ाई से फॉलो करने का आदेश दिया’।

सुबह 7 बजे से शुरू कर देते थे मीटिंग: मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में भी वही रुटीन फॉलो किया जो गोरखनाथ मठ में किया करते थे। वे सुबह 3 बजे जग जाते। नित्य-क्रिया और पूजा-अर्चना करने के बाद सुबह 7 बजे से बैठकों का दौर शुरू हो जाता। शुरुआती दौर में ब्यूरोक्रेसी के एक वर्ग में इस बात को लेकर नाराजगी की खबरें भी आई थीं। कई अफसर शिकायत करने लगे थे।

‘आज तक’ पर एक इंटरव्यू के दौरान जब योगी से पूछा गया था कि ‘कई कई ब्यूरोक्रेट्स की शिकायत है कि आप सुबह 7 बजे से मीटिंग शुरू कर देते हैं, लेकिन खत्म होने का कोई टाइम फिक्स नहीं होता। रात के 12-1 बज जाते हैं।’

इस पर योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया था, ‘ये काम के प्रति मेरी निष्ठा है। गोरखपुर में भी मेरा यही रुटीन था। वहां गौशाला थी…खेत था…मंदिर था, लेकिन यहां (लखनऊ) में ऐसा कुछ नहीं है। मेरी पूरी जिम्मेदारी राज्य के लोगों के प्रति है और अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त उन्हें देना चाहता हूं।’

मीटिंग खत्म होने का कोई समय नहीं: शांतनु गुप्ता अपनी किताब में लिखते हैं कि पहली बार सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने फैसला किया कि वे पहले महीने में सभी विभागों-मंत्रालयों के कामकाज को समझेंगे। तय किया गया कि सभी विभाग/मंत्रालय अपना प्रजेंटेशन देंगे। योगी सरकार में डिप्टी सीएम रहे दिनेश शर्ना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि प्रजेंटेशन मीटिंग का समय शाम 6 बजे फिक्स था, लेकिन खत्म होने का कोई समय तय नहीं था। कभी 11 तो कभी 12 बजे खत्म होती। कई बार आगे भी खिंच जाती थी।