गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कई तरह के बदलाव आते हैं। शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण मूड स्विंग्स, जी मिचलाना और मॉर्निंग सिकनेस समेत तमाम तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। हालांकि कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी में सोते समय खर्राटे भी आते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो गर्भावस्था में हर 10 में से 4 महिलाओं को खर्राटे की समस्या होती है। लेकिन जिन महिलाओं को पहले कभी खर्राटे ना आए हों, उनके लिए इस समस्या का सामना करना मुश्किल हो जाता है।

प्रेग्नेंसी के दौरान खर्राटों का आना बेहद ही आम माना जातै है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को खर्राटे आ रहे हैं तो अंतिम तिमाही तक यह स्थिति 14 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

क्यों आते हैं खर्राटे: प्रेग्नेंसी में खर्राटे आने के कई कारण हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर काफी बढ़ जाता है, जिससे म्यूकस मेंबरेन में सूजन आ जाती है। इसके अलावा राइनाइटिस की समस्या, स्लीप डिसऑर्डर, मोटापा, मुंह के ऊपरी भाग में सूजन, एलर्जी या फिर जुकाम, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया यानी ओएसए, गले और फेफड़ों में बलगम का बढ़ जाना और नाक बंद हो जाने के कारण खर्राटे की समस्या हो सकती है।

बचाव के उपाय: खर्राटें यूं तो गर्भवती महिला और उसके शिशु पर कोई प्रभाव नहीं डालते, हालांकि इससे नींद खराब हो जाती है। ऐसे में इन तरीकों से आपको खर्राटों की समस्या से निजात पाने में मदद मिल सकती है।

संतुलित डाइट: प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को संतुलित आहार लेना चाहिए। उनकी डाइट में सभी जरूरी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम और आयरन की अच्छी-खासी मात्रा होनी चाहिए। इससे खर्राटों की समस्या से निजात मिल सकता है।

जो महिलाएं खर्राटे आने की समस्या से परेशान हैं, उन्हें एक तरफ की करवट लेकर सोना चाहिए। आप चाहें तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए नेजल स्ट्रिप यूज कर सकते हैं।

र्भावस्था के दौरान महिलाओं को शराब, तंबाकू और सिगरेट आदि के सेवन से बचना चाहिए। इससे ना सिर्फ आपकी सेहत को नुकसान होता है बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी यह नुकसानदेह हो सकते हैं।