लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की पहचान जमीन से जुड़े नेता की रही है। अपने चुटीले और अपनापन वाले अंदाज से वह हर किसी का दिल जीत लेते हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो लोगों से सीधे संवाद के लिए ‘जनता दरबार’ की शुरुआत की। इसमें दूर-दराज के इलाकों से लोग अपनी समस्याएं लेकर आने लगे।

एक बार जनता दरबार के दौरान एक शख़्स ने लालू से ऐसी मांग कर दी जिसपर वह सोच में पड़ गए। ठग चौधरी नाम का खेतिहर मजदूर लालू के जनता दरबार में पहुंचा। लालू कुर्सी पर बैठे थे। आसपास तमाम मंत्री और प्रशासनिक अफसर भी मौजूद थे। उन्होंने ठग चौधरी से उनकी समस्याएं पूछी। ठग ने जो कहा उसे सुन वहां मौजूद तमाम नेता और अफसरों की हंसी छूट गई।

‘हम बहुत गरीब बानी…’ लालू यादव अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज से रायसीना’ में इस किस्से का जिक्र करते हुए लिखते हैं कि ठग चौधरी से जब मैंने उनकी समस्या पूछी तो उन्होंने कहा, ‘हम बहुत गरीब बानी, हमार गरीबी दूर कई देइं’ (मैं बहुत गरीब हूं, मेरी गरीबी दूर कर दें)। इस पर अफसर और नेता हंसने लगे, लेकिन मेरी प्रतिक्रिया अलग थी। उस शख्स के शरीर पर नाम मात्र के कपड़े थे।

सीएम आवास में नहलाने ले गए: लालू लिखते हैं कि मैं शख्स को 1 अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास में ले गया। उसे साबुन दिया और स्नान करने को कहा। जब वह नहाकर लौटा तो थोड़ा ठीक-ठाक दिखने लगा। इसके बाद मैंने एक जोड़ी नया कुर्ता पायजामा मंगवाया और उसे पहनने को दिया। साथ ही कंबल वगैरह भी दिये। 200 रुपये देकर विदा किया और उसकी गरीबी दूर करने का वादा भी किया।

लालू लिखते हैं कि उसी दिन जनता दरबार खत्म होने के बाद मैंने संबंधित अफसरों को बुलाया और खेतिहर मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का आदेश जारी कर दिया। 1995 तक प्रति व्यक्ति औसत कृषि मजदूरी 23 रुपये प्रतिदिन थी जो राष्ट्रीय औसत 21 रुपये से अधिक थी।

आपको बता दें कि लालू जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने तमाम नई पहल की थी। खुद अक्सर पटना और आसपास के जिलों में रात को गश्त पर निकल जाया करते थे, ताकि कानून व्यवस्था की स्थिति का जायजा ले सकें। ऐसी ही एक गश्त के दौरान वे एक ईंट भट्ठे पर पहुंचे। रात के अंधेरे में कुछ शख्स एक महिला को पकड़े हुए थे। बाद में लालू ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार करवा दिया और महिला को पटना के कलेक्टर कार्यालय में नौकरी दिलवाई थी।