डायबिटीज एक ऐसी क्रॉनिक बीमारी है जिसे कंट्रोल नहीं किया जाए तो ये बॉडी के बाकी अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है। भारत में कोरोना महामारी के बाद डायबिटीज के मरीजों की तादाद में इज़ाफ़ा हुआ है। डायबिटीज दो तरह की होती है टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज। दोनों तरह की डायबिटीज बॉडी को नुकसान पहुंचाती है। टाइप-1 डायबिटीज में पैन्क्रियाज इंसुलिन का बिल्कुल उत्पादन नहीं करता जबकि टाइप-2 डायबिटीज में पैन्क्रियाज इंसुलिन का कम उत्पादन करता है। भारत में टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की तादाद ज्यादा है।
डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव लाना जरूरी है। खराब डाइट और खराब जीवन शैली की वजह से ही ये बीमारी कम उम्र में ही लोगों को अपना शिकार बना रही है। डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्लड में शुगर के स्तर को मेनटेन रखना जरूरी है।डायबिटीज के मरीजों को नियामित रूप से शुगर चैक करना चाहिए वरना किडनी, हार्ट और लंग्स को नुकसान पहुंच सकता है।
उम्र बढ़ने पर शुगर को लगातार चेक करना जरूरी है क्यों कि उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा भी बढ़ने लगती है। बढ़ती उम्र में इम्युनिटी कमजोर होने लगती और शरीर कमजोर होने लगता है। इस उम्र में अगर शुगर कंट्रोल नहीं रहेगी तो बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
60 साल की उम्र के बुजुर्गों का फास्टिंग शुगर, खाने के बाद का शुगर कितना होना चाहिए इसकी जांच करना जरूरी है। आइए जानते हैं कि उम्र के मुताबिक कितना होना चाहिए ब्लड में शुगर का स्तर।
60 की उम्र के बाद कितना होना चाहिये शुगर:
- हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार 60 से अधिक उम्र के लोगों में फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 90 से 130 mg/dL के बीच होना चाहिए।
- खाने के बाद 140 mg/dl से कम शुगर लेवल होना जरूरी है।
- डिनर के बाद 150 mg/dl का ब्लड शुगर लेवल सामान्य माना जाता है।
- सोते समय ब्लड शुगर का स्तर 150 mg/dL से अधिक नहीं होना चाहिए।
बच्चों से लेकर युवाओं में कितनी होनी चाहिए फॉस्टिंग शुगर
- वयस्कों के लिए 90 से 130 mg/dLतक होना चाहिए
- 13 से 19 साल के बच्चों के लिए 90 से 130 mg/dL
- 6 से 12 साल के बच्चों के लिए 90 से 180 mg/dL
- 6 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए 100 से 180 mg/dL
खाने के 1- 2 घंटे बाद कितना होना चाहिए ब्लड शुगर
वयस्कों के लिए 180 mg/dL से कम
सोते समय आपका ब्लड शुगर होना चाहिए:
- वयस्कों के लिए 90 से 150 mg/dL
- 13 से 19 साल के बच्चों के लिए 90 से 150 mg/dLतक
- 6 से 12 साल के बच्चों के लिए 100 से 180 mg/dLतक
- 6 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए 110 से 200 mg/dLतक