मधुमेय एक ऐसी क्रॉनिक बीमारी है जिसमें शरीर के पैन्क्रियाज में इंसुलिन की कमी हो जाती है। इंसुलिन का कम उत्पादन ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ाने में असरदार साबित होता है। ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने को ही डायबिटीज की बीमारी कहा जाता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी है कि वो हर हाल में शुगर को कंट्रोल रखें। डायबिटीज के मरीजों की फॉस्टिंग शुगर से लेकर रात के खाने के बाद तक की शुगर का स्तर नॉर्मल रहना जरूरी है।
लम्बे समय तक ब्लड में शुगर का स्तर हाई रहने से बॉडी के अंगों को नुकसान पहुंचने लगता है। डायबिटीज के जोखिम की बात करें तो इसके बढ़ने से दिल के रोगों,किडनी,लंग्स और आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी कि वो फॉस्टिंग शुगर से लेकर खाने के बाद तक की शुगर को कंट्रोल करें।
डायबिटीज स्पेशलिस्ट डॉक्टर रिषभ शर्मा के मुताबिक डायबिटीज़ के लम्बे समय तक हाई रहने से शुगर के मरीजों को डायबिटीज न्यूरोपैथी का खतरा बढ़ने लगता है। इस बीमारी में तंत्रिकाओं को नुक़सान पहुंचने की वजह से हाथों-पैरों में झुनझुनी,चुभन वाला दर्द और हाथ-पैर सुन्न होने की परेशानी रहती है। शरीर में ब्लड शुगर बढ़ने की वजह से इस बीमारी का खतरा बढ़ता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि डायबिटीज न्यूरोपैथी के लक्षण कौन-कौन से है और इस बीमारी से बचाव कैसे करें।
डायबिटीज न्यूरोपैथी के कारण और लक्षणों की पहचान कैसे करें:
- डायबिटीज न्यूरोपैथी की बीमारी कई कारणों से होती है जैसे बढ़ता मोटापा,हाई ब्लड प्रेशर,ट्राइग्लिसराइड का अधिक होना,दिल के रोग होने से भी डायबिटीज न्यूरोपैथी का खतरा अधिक रहता है।
- डायबिटीज न्यूरोपैथी के लक्षणों की बात करें तो मरीज का जी मिचलाना,खट्टी डकार और उल्टी आना,हाथ-पैरों में स्पर्श करने में संवेदनशीलता होना,
हाथ या पैर में सुन्नपन होना,पैरों में जलन और सूजन होना,मांसपेशियों में कमजोरी होना डायबिटीज न्यूरोपैथी के लक्षण हो सकते हैं। डायबिटीज न्यूरोपैथी की बीमारी पैर के अंगूठे से शुरु होती है।
डायबिटीज न्यूरोपैथी के मरीज कैसे करें बीमारी का उपचार:
- डायबिटीज के मरीज सेल्फ एग्जामिनेशन करें। पैर के छाले,दाने या घाव का सेल्फ एग्जामिनेशन करें।
- डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण होने वाले दर्द को दूर करने के जो दवाईयां दी जाती है उन दवाओं के साइड इफेक्ट हो सकते है इसलिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- न्यूरोपैथी के कारण अगर आपका पाचन खराब रहता है तो आप एक से अधिक बार थोड़ा-थोड़ा जरूर खाएं। अपनी डाइट में फाइबर और वसा की मात्रा को सीमित करें।
- ब्लड शुगर को कंट्रोल रखें। शुगर कंट्रोल करने के लिए बॉडी को एक्टिव रखें और डाइट का ध्यान रखें।
- रेगुलर ब्लड शुगर को चेक करें।
- दवाईयों का सेवन करें।
- पैरों को साफ और सूखा रखें।