Pregnancy Symptoms: गर्भवती महिलाओं को ये सोच ही उत्साहित कर देती है कि उनके भीतर एक जान सांस ले रही है। बेशक इस दौरान उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रेग्नेंट लेडीज को गर्भावस्था के बीच मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक बदलावों से जूझना पड़ता है। इस दौरान उनके शरीर में जो सबसे बड़ा चेंज आता है वो है महिलाओं का वजन बढ़ना। प्रेग्नेंसी के बीच 5 से 18 किलोग्राम तक महिलाओं का वजन बढ़ जाता है।
क्या हैं प्रेग्नेंसी के स्टेज:
कॉन्सेप्शन और इंप्लांटेशन
पहली तिमाही
दूसरी तिमाही
तीसरी तिमाही
कॉन्सेप्शन और इंप्लांटेशन: महिलाओं के आखिरी पीरियड्स के दो सप्ताह बाद ओव्यूलेशन होता है। इसमें ओवरीज आमतौर पर एक या कभी-कभी दो-तीन अंडा रिलीज करता है। इसके 12 से 24 घंटे बाद स्पर्म सेल द्वारा अंडा फर्टिलाइज होता है, जिसके बाद फैलोपियन ट्यूब के जरिये यूटेरस में एग ट्रैवल करता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक भ्रूण का लिंग फर्टिलाइजेशन के समय ही तय होता है। तीन-चार दिनों में अंडा यूटेरस तक पहुंचता है। एम्ब्रायो इंप्लाट होता है यूटेरिन की दीवारों में और सेल्स बढ़ने लगते हैं। फिर फीटस और प्लैसेंटा बनता है। गर्भावस्था के दौरान प्लैसेंटा फीटस तक मां के ब्लड से अंब्रीकल कॉर्ड क जरिये ऑक्सीजन, पोषक तत्व और हार्मोन्स पहुंचाता है।
पहली तिमाही: पहली तिमाही में प्रेग्नेंसी के हार्मोनल बदलावों को झेलने के लिए मां के शरीर को एडजस्ट करना पड़ता है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में मॉर्निंग सिकनेस की दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा, महिलाओं को थकान, ब्रेस्ट में सूजन, साइज में बदलाव, पाचन संबंधी दिक्कत और धड़कन बढ़ सकती है।
दूसरी तिमाही: दूसरी तिमाही आने तक महिलाओं का शरीर इन हार्मोनल बदलावों का अभ्यस्त हो जाता है। ऐसे में नींद और एनर्जी लेवल बढ़ जाता है। नॉसिया और उल्टी की परेशानी भी खत्म हो जाती है। इस दौरान पेल्विक प्रेशर बढ़ जाता है और बेबी बंप ज्यादा दिखने लगता है। इस वजह से स्ट्रेच मार्क्स नजर आने लगते हैं। दूसरी तिमाही में महिलाओं को कमर दर्द, हाई ब्लड प्रेशर, सूजन और अचानक से वजन बढ़ सकता है।
तीसरी तिमाही: इस दौरान महिलाओं का बढ़ा हुआ यूटेरस डायाफ्राम की तरफ धक्का देते है जिसमें अधिक सांस की जरूरत पड़ती है। इस वजह से गर्भवती महिलाएं सांस की कमी से जूझ सकती हैं क्योंकि फेफड़ों को फैलने की जगह कम मिलती है। इसके अलावा, महिलाओं की एड़ी, हाथ, एंकल और चेहरा सूज जाता है। साथ ही, ब्लैडर पर प्रेशर पड़ने से उन्हें बार-बार पेशाब लग सकता है।