बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती साल 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं। हालांकि कुछ समय बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन साल 2007 के चुनाव में बीएसपी को बहुमत मिलने के बाद मायावती के सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया था। इसके बाद उन्होंने पहली बार बतौर मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल भी पूरा किया था। इस दौरान उनकी सरकार पर कई आरोप भी लगे थे।

‘विकिलीक्स’ ने साल 2011 में अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि मायावती ने मुख्यमंत्री बनने के बाद सैंडल लाने के लिए एक विशेष हवाई जहाज मुंबई भेजा करती थीं। इसमें उनके लिए मुंबई से उत्तर प्रदेश सैंडल लाए जाते थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि IAS अधिकारी शशांक शेखर और बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्र के आदेश पर तत्कालीन सीएम मायावती के लिए हवाई जहाज से अफसरों को भेजकर सैंडल मंगवाए जाते थे। इन सैंडल की कीमत एक हजार रुपए होती थी, लेकिन उसे मंगवाने में 10 लाख रुपए खर्च होते थे।

जूलियन असांजे पर भड़कीं मायावती: साल 2011 में विकिलीक्स की इस रिपोर्ट को आधार बनाकर विरोधी दलों ने बीएसपी पर निशाना साधा था। मायावती ने भी इस पर अपना पक्ष रखा था और विकिलीक्स के फाउंडर जूलियन असांजे को पागलखाने भिजवाने की सलाह तक दे दी थी। मायावती ने कहा था, ‘मैं वहां (ऑस्ट्रेलिया) की सरकार से विकिलीक्स के मालिक को पागलखाने में भिजवाने का आग्रह करती हूं। क्योंकि उन्होंने बिना किसी आधार के ऐसे आरोप लगाए हैं। अगर वो ऐसा नहीं कर पाते हैं तो यूपी में आगरा का पागलखाना भी खाली है।’

अखिलेश यादव ने साधा था निशाना: चुनाव को देखते हुए उस समय समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मायावती की सरकार के खिलाफ खूब विरोध-प्रदर्शन भी किया था। अखिलेश यादव ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मौजूदा यूपी सरकार का ध्यान सिर्फ मूर्ति और पार्क बनाने में है। अगर सैंडल मंगाने की जगह प्रदेश के विकास में पैसा लगाया जाता तो सोचिए बच्चों को कितना फायदा होता। गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी को इनका फायदा भी हुआ और 2012 के चुनाव में यूपी की जनता ने सपा को बहुमत दिया। मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बेटे अखिलेश यादव को बैठाया था।