1975 में लगे आपातकाल (Emergency) के दौर की जिन बातों की चर्चा अब भी होती है, उनमें से एक है जयपुर (Jaipur) के मशहूर जयगढ़ किले (Jaigarh Fort) में पड़ा इनकम टैक्स का छापा (Income Tax Raid) और छिपे खजाने को खोजने ( Treasure Hunt) की अपुष्ट कहानियां। उस दौर में इंदिरा गांधी सरकार (Indira Gandhi Government) द्वारा खजाना खोजने की ख़बर पूरी दुनिया में इतनी तेजी से फैली कि पाकिस्तान (Pakistan) के तत्कालीन प्रधानमंत्री (PM) जुल्फीकार अली भुट्टो (Zulfikar Ali Bhutto) ने पत्र लिखकर इंदिरा गांधी से खजाने में आधे हिस्से की दावेदारी भी कर दी थी।

कहां से आया खजाना: पाकिस्तान के पीएम भुट्टो ने जयगढ़ के खजाने में हिस्सेदारी भले ही 1976 में मांगी हो, मगर इंदिरा गांधी को लिखी उनकी चिट्ठी की तह तक पहुंचने के लिए हमें इतिहास में करीब 500 साल पीछे जाना होगा। साल 1581 में अकबर ने अपने सेनापति मान सिंह को अफगानिस्तान के विद्रोही कबीलों का सिर कुचलने भेजा।

मुगल बादशाह की आशा के अनुरूप ही मान सिंह ने सभी विद्रोहियों को हराकर, अफगान इलाकों पर मुगलिया शासन दोबारा कायम कर दिया। कहा जाता है कि इस अभियान के दौरान मान सिंह की राजपूत सेना को लूट में भारी खजाना हाथ लगा, जिसकी जानकारी अकबर को देने के बजाए मान सिंह ने उस खजाने को आमेर के किले में छिपा दिया।अकबर को कानों कान इस खजाने की खबर नहीं लगी।

कैसे खुला खजाने का राज़: कुछ समय बाद फारसी में एक किताब आई, हफ्त तिलिस्मात ए आंबेरी। जिसका हिंदी में मतलब हुआ आंबेर के 7 खजानों का रहस्य। इस किताब में बताया गया कि आमेर किले में 7 तालाबों के नीचे 7 खजाने छिपाए गए हैं। इसी किताब के बाद आमेर के उस खजाने के किस्से मशहूर हो गए। पहले मुगलों, फिर बाद के शासकों और यहां तक की अंग्रेजों ने भी कई बार उस खजाने को खोजने की कोशिश की, मगर किसी के हाथ कुछ ना लगा।

इंदिरा गांधी बनाम महारानी गायत्री देवी: 1947 में भारत आजाद हुआ, आजादी के दौरान जयपुर के महाराजा थे सवाई मान सिंह द्वितीय, जिनकी शादी हुई थी महारानी गायत्री देवी से। महारानी गायत्री देवी की पढ़ाई लिखाई रविन्द्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन के पार्थो भवन में हुई थी। उस समय जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा भी वहां पढ़ती थीं। कहा जाता है कि दोनों के रिश्तों के बीच तल्खी छात्र जीवन से ही जारी थी। शादी के बाद कूच बिहार की राजकुमारी गायत्री देवी बन गईं जयपुर की महारानी और इंदिरा गांधी बनीं भारत की प्रधानमंत्री।

खजाने की खोज: 1975 में देशभर में आपातकाल लागू के करने के एक साल बाद 10 जून 1976 को इंडियन आर्मी, राजस्थान पुलिस और इनकम टैक्स की टीमों ने जयपुर के जयगढ़ फोर्ट पर रेड डाली। पूरे किले को खोदकर तहस नहस कर दिया गया। कर्फ्यू जैसे माहौल के बावजूद जयपुर में ये खबर फैल गई कि इंदिरा के बेटे संजय के आदेश पर सेना और पुलिस आमेर का खजाना खोज रही है। सवाल उठा कि खजाना अगर आमेर में है तो छापा जयगढ़ पर क्यों। जवाब मिला कि ये दोनों किले सुरंग के जरिए आपस में जुड़े हुए हैं।

भुट्टो की वो चिट्ठी और इंदिरा का जवाब: सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद ये खबर सरहद पार पाकिस्तान और फिर सारी दुनिया में फैल गई। पाकिस्तान के पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो ने 11 अगस्त 1976 को खत लिखकर इंदिरा गांधी को 1947 में हुए समझौते कि याद दिलाई और खजाने में आधे हिस्से की मांग की।

इंदिरा ने उस वक्त तो खामोशी अख्तियार कर ली। मगर नवंबर 1976 में भुट्टो को जवाबी पत्र लिखते हुए कहा कि “प्रिय पीएम भुट्टो, मैंने अपनी लीगल टीम से बात करने के बाद पाया है कि 1947 का समझौते के मुताबिक, हमें ऐसे किसी भी खजाने में पाकिस्तान को हिस्सा देने की कोई भी बाध्यता नहीं है…वैसे भी ऐसा कोई खजाना मिला ही नहीं है, तो फिर हिस्सा देने की बात ही नहीं उठती है।”

कहां गया खजाना: बाद में इंदिरा गांधी ने स्वयं बताया कि जयगढ़ किले से सिर्फ 230 किलो चांदी मिली है, कोई खजाना नहीं। मगर इंदिरा के कथन के बावजूद खजाने को लेकर कई अफवाहें आज भी जयपुर में मशहूर हैं। कोई कहता है कि वहां से सरकार को खजाना मिल गया था, जिसे पहले दिल्ली और फिर स्विटजरलैंड ले जाया गया तो किसी कहानी के मुताबिक खजाना तो सवाई जय सिंह ने ही खोज निकाला था, और उसी खजाने से जयपुर शहर बसाया गया। मगर इन दोनों ही कहानियों के पक्ष में कोई सबूत नहीं मिलता।