भारत में अंधापन एक प्रमुख पब्लिक स्वास्थ्य चिंता है। भारत में लगभग 68 लाख लोग दो या कम से कम एक आंख में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं और जिसमे से 10 लाख लोग पूर्णतः अंधेपन के शिकार हैं| नेशनल ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इम्पेयरमेंट सर्वे 2019 ने बताया कि भारत में 50 साल से कम उम्र के लोगों में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से अंधापन होता है। इस तरह के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए इस विश्व दृष्टि दिवस पर अपनी आंखों की देखभाल करने और अपनी आंखों को मौत के बाद दान करने के लिए प्रतिज्ञा करने पर फोकस करें ताकि इस खूबसूरत दुनिया को देखने में किसी अंधे व्यक्ति की मदद की जा सके। देहरादून के रामकृष्ण मिशन आश्रम के विवेकानंद नेत्रालय की मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट डॉ. मानसी गुसैन पोखरियाल ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत की है। आइये एक्सपर्ट से जानते हैं कि आंखों की कैसे देखभाल करें।

आंखों का बेहतर स्वास्थ्य बहुत जरूरी:

सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन द्वारा 2019 में 250 लोगों पर किये गए एक अध्ययन के मुताबिक लोगों ने बताया है कि उनकी नज़र उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम अक्सर आंखों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देते हैं और इसे हल्के में लेते हैं। हमारी नज़र यानी की आंखे सबसे बेशकीमती चीजों में से एक है। हमारी आंखे अपने आस-पास की दुनिया को समझने में मदद करती है। हालांकि कई आंख की बीमारियां है जिससे अस्थायी या स्थायी रूप से दिखना बंद हो सकता है। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी स्थितियां भी आपकी आंखों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं और आंखों को स्थायी रूप से डैमेज या उन्हें ख़राब कर सकती हैं।

संतुलित और स्वस्थ खानपान का सेवन करें:

डाइट में बहुत सारी हरी पत्तेदार सब्जियां और फल होने चाहिए। टूना, सैल्मोंन, हलिबूट के रूप में ओमेगा -3 फैटी एसिड वाला भोजन आपकी आंखों के स्वास्थ्य में मदद कर सकता हैं।

नियमित रूप से एक्सरसाइज करें:

एक्सरसाइज आपको हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने या रोकने में मदद कर सकती है। इन सभी फैक्टर से आंख या नज़र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में अगर आप रोजाना एक्सरसाइज करते हैं तो आप इन आंखों की समस्याओं के होने के ख़तरे को कम कर सकते हैं।

शरीर का वजन स्वस्थ बनाए रखें:

मोटापा या बहुत ज्यादा वजन होने से डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज आपको डायबिटिक रेटिनोपैथी या ग्लूकोमा होने के ख़तरे में डाल देती है।

धूप का चश्मा पहनें:

सूरज के संपर्क में आने से आंखों को नुकसान हो सकता है और मोतियाबिंद और उम्र से संबंधित मैक्यूलर डिजेंरेशन (एएमडी) का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए आपको धूप के चश्मे लगा कर अपनी आंखों की सुरक्षा करनी चाहिए इससे आंखे यूवी-ए और यूवी-बी रेडियेशन से बची रहेंगी।

आंख की जांच नियमित रूप से कराएं:

आंखों की बीमारियों का पता लगाने के लिए आंखों की जांच करना महत्वपूर्ण है। जांच में कोई लक्षण दिखता है तो तुरंत इलाज ढूढें। आंखों की जांच की उम्र, स्वास्थ्य और लिंग के आधार पर अलग अलग समय के अंतराल पर की जा सकती है।

नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाना भी बहुत जरूरी:

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ग्लूकोमा और मोतियाबिंद के बाद, अंधापन ज्यादातर कॉर्निययल डैमेज का कारण होता है। हालांकि अच्छी बात यह है कि इनमें से अधिकांश बीमारियों का इलाज संभव है। नेत्रदान की मदद से अंधेपन को काफी हद तक रोका जा सकता है। शरीर के विभिन्न अंगों की तरह आंख का कॉर्निया भी मृत्यु के बाद दान किया जा सकता है, यह कार्निया अंधे व्यक्ति को देखने की क्षमता प्रदान कर सकता है।

आप भी अपनी आंखे दान कर सकते हैं:

कार्नियल ट्रांसप्लांट्स से जिन लोगों में कार्निया क्षतिग्रस्त हो चुका है उनमे दृष्टि को वापस लाया जा सकता है। कार्निया किसी चोट, इन्फेक्शन या केराटोकोनस जैसी बीमारी की वजह से डैमेज हो सकता हैं। हालांकि कार्निया ट्रान्सप्लांट तभी संभव है जब लोग अपनी आंखे दान करेंगे।