बवासीर में रोगी की गुदा के अंदर और बाहर सूजन और मस्से होते हैं। यह एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी को बहुत कष्ट होता है। अक्सर देखा जाता है कि बवासीर के लक्षणों का पता चलते ही रोगी बीमारी का इलाज कराने की कोशिश करता है और डॉक्टर के निर्देश के अनुसार दवा भी लेता है, लेकिन इसके बाद भी कई बार बवासीर का पूरा इलाज नहीं हो पाता है। आइए आचार्य बालकृष्ण से जानते हैं इसके इलाज का कारगर तरीका-

आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक बवासीर से पीड़ित होने पर मरीजों का आहार ऐसा होना चाहिएः- जिसमें गेहूं, जौ, शाली चावल, मसूर दाल, मूंग, गेहूं, अरहर और फल एवं सब्जियां में सहजन (शिग्रु), टिण्डा, जायफल, परवल, लहसुन, लौकी, तोरई, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, आँवला, पपीता, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन आदि शामिल हो।

फाइबर युक्त फल खीरा, गाजर, सेम, बीन्स आदि का भरपूर सेवन करें। इसके साथ ही हल्का खाना, काला नमक, मट्ठा, ज्यादा पानी पीएं, जीरा, हल्दी, सौंफ, पुदीना, शहद, गेहूं का ज्वारा, पुनर्नवा, नींबू, हरड़, पंचकोल, हींग का सेवन करना लाभकारी साबित होगा।

आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक पाइल्स में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए

  • सुबह सूर्योदय से पहले उठें और ध्यान एवं योग का अभ्यास प्रतिदिन करें।
  • एक ही समय पर भोजन करें और तीन से चार बार भोजन अवश्य करें। ताजा एवं हल्का गर्म भोजन अवश्य करें।
  • हफ्ते में एक बार उपवास करें और भोजन भरपेट न करें। रोज दो बार दांतों और जिव्हा को साफ करें।
  • भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरे–धीरे खाएं।
  • भोजन लेने के बाद थोड़ा टहलें और रात में सही समय [9-10 PM] पर नींद लें।

आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक पाइल्स से पीड़ित मरीजों को इनका सेवन नहीं करना चाहिए

नया धान, मैदा, उड़द दाल, काबुली चना, मटर, सोयाबीन, छोले, आलू, शिमला, मिर्च, कटहल, बैंगन, अरबी (गुइया), भिंडी, जामुन, आड़ू ,कच्चा आम, केला, सभी मिर्च के सेवन से मरीजों को परहेज करना चाहिए।

इसके अलावा मरीजों को तेल, गुड़, समोसा, पकोड़ी, पराठा, चाट, पापड़, नया अनाज, अम्ल, कटु रस प्रधान वाले पदार्थ, सूखी सब्जियां, मालपुआ, ठण्डा खाना खाने से भी बचना चाहिए। साथ ही मरीजों को तैलीय मसालेदार भोजन, मांसाहार, तैल, घी बेकरी उत्पाद, जंक फ़ूड, डिब्बाबंद भोजन से सख्त से सख्त परहेज करना चाहिए।

बाबा रामदेव के मुताबिक बवासीर का उपचार के दौरान ये योग और आसन कर सकते हैं

बाबा रामदेव एक मुताबिक बवासीर से पीड़ित मरीजों को योग प्राणायाम एवं ध्यान में भस्त्रिका, कपालभांति, बाह्यप्राणायाम, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ, उज्जायी, प्रनव जप और आसन में गोमुखासन, मर्कटासन, पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, कन्धरासन नियमित रूप से करना चाहिए। बाबा रामदेव का कहना है कि उत्कट आसन में ना बैठें।