आजकल दुनियाभर में हवा में प्रदूषण की तेज वृद्धि देखने को मिली है। भारत की राजधानी के दिल्ली एनसीआर में लोग जहरीले हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। मेट्रो सिटी में हवा की गुणवत्ता बेहद ख़राब है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण हृदय एवं श्वास रोगी की संख्या में तेजी से वृद्धि देखने को मिली है। लेकिन वायु प्रदूषण के कारण ना सिर्फ फेफडों ,आंख आदि को नुकसान पहुंचता है बल्कि प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित होती है। प्रदूषित वायु में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है, जो स्पर्म्स को नुकसान पहुंचाती है। तो इसी सवाल का जवाब खोजने के लिए हम पहुंचें हैं स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लवली जेठवानी के पास, यहां आप जानेंगे कि वायु प्रदूषण हार्मोन्स को कैसे प्रभावित कर सकता है।
डॉक्टर लवली ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत करते हुए बताया कि हवा की ख़राब गुणवत्ता के कारण पुरुषों की प्रजनन क्षमता धीमी हो जाती है, जिसके कारण महिला को बच्चा कंसीव करने में समस्या आती है। उन्होंने बताया कि जब हम सांस लेते हैं तो हवा में मौजूद पर्टिकुलेट मैटर अपने साथ पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन को लेकर हमारे अंदर प्रवेश कर जाते हैं। यह पुरुष के शुक्राणुओं के लिए नुकसानदायक होते हैं।
कारण: डॉक्टर लवली के अनुसार प्रदूषण में मौजूद 2.5 पार्टिकल हृदय की धमनियों में सूजन का बड़ा कारण बनते हैं। यह पार्टिकल इतने छोटे होते हैं कि यह शरीर में घुसकर ब्लड स्ट्रीम के अंदर चले जाते हैं, और हार्ट की धमनियों में सूजन पैदा करते हैं, और खून के थक्के भी जमा देते हैं। इस तरह टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी से सेक्स की इच्छा कम हो जाती है। वायु प्रदूषण के कारण कम वजन वाले बच्चे का जन्म, समय से पहले प्रसव, मृत बच्चे का जन्म आदि समस्याएं भी हो सकती हैं। (यह भी पढ़ें- स्पर्म काउंट बढ़ाने में मददगार हैं बाबा रामदेव के ये 5 टिप्स, जानिए)
बचाव के तरीके: डॉक्टर लवली ने बताया कि प्रदूषण को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है लेकिन जीवनशैली में सही बदलावों और सही आहार के साथ स्पर्म की संख्या में सुधार किया जा सकता है। शरीर में एंटी-ऑक्सिडेंट की मात्रा को बढ़ाएं जो विटामिन, खनिज और समृद्ध पोषक तत्वों का परिवार है। एंटी ऑक्सिडेंट स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता दोनों में सुधार के लिए जिम्मेदार होते हैं। (यह भी पढ़ें- स्पर्म काउंट बढ़ाने में कारगर हो सकते हैं ये 4 फूड्स, आज ही अपने डाइट में करें शामिल)
डॉक्टर लवली के अनुसार वायु प्रदूषण पुरुषों के साथ महिलाओं की फर्टिलिटी के लिए भी हानिकारक है। महिलाओं के ओवरियन फॉलिकल, जहां अंडे विकसित होते हैं, प्रदूषण के कारण डैमेज हो जाते हैं। हवा में मौजूद हाइड्रोकार्बन वाले पीएम 10 के कण हार्मोनल बदलाव में सीधे तौर पर जिम्मेदार होते हैं। टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन के स्तर में कमी से न केवल सेक्स की इच्छा में कमी आती है बल्कि आगे चलकर यह इनफर्टिलिटी का कारण भी बन सकता है। सिर्फ स्पर्म काउंट कम होने के लिए प्रदूषण ही जिम्मेदार नहीं इसके अलावा व्यक्ति को सिगेरट शराब से भी दूर रहना चाहिए। वहीं प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार और प्रशासन को ठोस कदम उठाने चाहिए।