उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासत गरमा गई है। एक तरफ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी वापसी के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रही है। तो वहीं समाजवादी पार्टी और दूसरे दल भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। खासकर सपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की रैलियों में अच्छी खासी भीड़ जुटती दिख रही है।
आपको बता दें कि परिवार के बीच टीपू के नाम से जाने जाने वाले अखिलेश ने ऑस्ट्रेलिया से एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में मास्टर्स की पढ़ाई की है। साल 1996 में जब वह सिडनी पढ़ाई के लिए गए तो वहां उनका मन रम गया था। पूरे कोर्स के दौरान अखिलेश एक बार भी भारत नहीं आए। कभी कभार फोन पर अपने परिजनों से बात जरूर कर लिया करते थे। पिता मुलायम से कम ही बात होती थी।
अमर सिंह अक्सर मिलने जाते थे: वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका सुनीता एरॉन अपनी किताब ”अखिलेश यादव: विंड्स ऑफ चेंज” में लिखती हैं कि हालांकि अखिलेश यादव पूरी पढ़ाई के दौरान एक बार भी घर नहीं आए लेकिन कुछ लोग उनसे नियमित मिलने जाया करते थे। जिसमें तब मुलायम सिंह के दाहिने हाथ रहे अमर सिंह प्रमुख थे। अमर सिंह उस वक्त समाजवादी पार्टी के महासचिव थे और ताकतवर स्थिति में थे।
चलो शादी भी करा देते हैं…: सुनीता एरॉन अखिलेश यादव के क्लासमेट रहे चंद्रशेखर के हवाले से लिखती हैं, ‘हमारी उनसे कभी मुलाकात नहीं हुई, लेकिन वे (अमर सिंह) अक्सर अखिलेश को डिनर के लिए ले जाया करते थे।’ एरॉन के मुताबिक जब अखिलेश पढ़ाई कर वापस लौटे तब अमर सिंह ने उनसे कहा था, ‘तुम्हारी पढ़ाई कराई है…चलो शादी भी करा देते हैं।’
बाद में अमर सिंह ही वह शख्स थे जो अखिलेश को लेकर डिंपल सिंह के लखनऊ कैंट स्थित मकान पर गए थे और सगाई से लेकर शादी तक की सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाली थी। कहा जाता है कि शुरुआत में अखिलेश के पिता मुलायम सिंह उनकी और डिंपल की शादी के खिलाफ थे, लेकिन अमर सिंह ने ही ‘नेताजी’ को राजी किया था।
बाद के दिनों में अमर सिंह और मुलायम के रिश्तों में खटास आ गई थी और अमर सिंह ने अपनी राहें जुदा कर ली थीं। तमाम मंचों पर उन्होंने अखिलेश को लेकर भी भला-बुरा कहा था।