दिवंगत नेता राम विलास पासवान ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ आंदोलन से की थी। 70 के दशक में राम विलास पासवान ने जे.पी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इसके बाद साल 1977 के चुनाव में पासवान बिहार के हाजीपुर से चुनकर संसद पहुंचे थे और केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी थी। ये सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल सकी और साल 1980 में दोबारा चुनाव हुए। इसके बाद संसद में आमने-सामने आ गए था पासवान और इंदिरा गांधी।
हाल ही में पेंगुइन प्रकाशन से आई पासवान की जीवनी राम विलास पासवान: संकल्प, साहस और संघर्ष में प्रदीप श्रीवास्तव ने इस घटना का विस्तार से जिक्र किया है। राम विलास पासवान भी इन चुनावों में हाजीपुर से मैदान में उतरे और ऐतिहासिक जीत दर्ज की। केंद्र में इंदिरा गांधी वापसी हुई। लेकिन साल 1984 में इंदिरा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया।
लोकसभा में राम विलास पासवान भी मौजूद थे। पासवान ने तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ से बोलने की अनुमति मांगी। अनुमति मिलने के बाद पासवान ने एक के बाद एक सरकार की नीतियों पर निशाने साधे। उनके एक बयान से संसद में इंदिरा गांधी नाराज़ भी हो गई थीं।
राहुल गांधी का भी लिया था नाम: पासवान ने कहा था, ‘इंदिरा जी जब झंडा फहरा रही थीं तो उन्होंने कहा था कि उनका पूरा परिवार देश के प्रति समर्पित है। यह सच है। संसद के बाहर नारा लगता है कि देश की नेता इंदिरा गांधी, युवा का नेता राजीव गांधी, महिलाओं की नेता मेनका गांधी और बच्चों के नेता राहुल गांधी, भाड़ में जाए महात्मा गांधी।’ आक्रोश में इंदिरा गांधी ने जवाब दिया था, ‘आपने तो मेरे पोते को भी नहीं छोड़ा।’ राम विलास पासवान ने इसके जवाब में कहा था, ‘मैडम आपका नाती कोई मामूली बच्चा नहीं है।’
हालांकि इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। लोकसभा की कार्यवाही देर तक चलने के कारण सांसदों के लिए खाने का इंतज़ाम संसद भवन की पहली मंजिल पर किया गया। पासवान अपने सांसदों के साथ गलियारे में खड़े हुए थे तभी अचानक इंदिरा गांधी भी ऊपर आईं।
इंदिरा गांधी के सम्मान में सभी सांसद रुक गए और वह जब पासवान के पास आईं तो कहा, ‘आईए चलिए। कहां जा रहे हैं?’ पासवान ने कहा, ‘घर जा रहा हूं। कुछ मेहमान आए हैं।’ इंदिरा गांधी ये बात सुनने के बाद रुकीं। इंदिरा गांधी ने राम विलास पासवान को कहा, ‘चलिए पहले खाना खा लीजिए। खाएंगे नहीं तो गाली देने में मजा कैसे आएगा।’

