यूपी की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को प्रोफेसर राम गोपाल यादव की पुस्तक ‘राजनीति के उस पार’ का विमोचन किया गया। पुस्तक का विमोचन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किया। लखनऊ में हुए इस कार्यक्रम में वीवीआईपी शामिल हुए। मंच पर मुलायम सिंह यादव भी मौजूद थे। राम गोपाल यादव की इस पुस्तक में राजनीति से जुड़े कई घटनाक्रम का जिक्र किया गया है। एक ऐसा ही किस्सा साल 2005 का है जब एक टीवी चैनल पर चले स्टिंग के बाद सियासी हलचल शुरू हो गई थी और 11 सांसदों को बर्खास्त किया गया था।
दरअसल इस स्टिंग में दिखाया गया था कि 11 सांसद संसद में पैसे लेकर सवाल पूछने के लिए तैयार हो गए थे। इस विषय को गंभीरता से लेते हुए एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी का काम सांसदों के भविष्य का फैसला करना था। समाजवादी पार्टी के तत्कालीन राज्यसभा सदस्य राम गोपाल यादव को भी कमेटी का सदस्य बनाया गया था। ‘राजनीति के उस पार’ किताब में यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस वाकये का जिक्र किया है।
बकौल अखिलेश यादव, राम गोपाल चाहते थे कि आरोपी सांसदों की सदस्या तुरंत खारिज होनी चाहिए। जबकि कुछ नेता और कमेटी के अन्य सदस्य नरमी बरतने पर भी विचार करने की बात रख रहे थे। बीजेपी नेता विजय कुमार मल्होत्रा राम गोपाल के पास आए और कहा, ‘प्रोफेसर तुम क्यों रास्ते का कांटा बन रहे हो? सोचो 11 सांसदों की गर्दन काटनी पड़ेगी।’ बीजेपी नेता ने कहा कि लालू यादव भी चाहते हैं कि इन सांसदों को बख्श दिया जाए। प्रणब मुखर्जी भी कुछ ऐसा ही चाहते हैं। जबकि राम गोपाल यादव अपनी बात पर अटल रहे।
अखिलेश यादव ने किताब में आगे बताया, प्रोफेसर साहब की वजह से आरोपी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इसमें लोकसभा के दस सांसद और राज्यसभा के एक सांसद को हटाया गया। बता दें, बर्ख़ास्त सांसदों में बीजेपी के 6, बीएसपी के 3 और कांग्रेस और आरजेडी का एक-एक सांसद शामिल थे। सबसे पहले राज्यसभा में चर्चा के बाद छत्रपाल सिंह लोधा को बर्ख़ास्त करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया था।
किन सांसदों को किया गया था बर्खास्त-
बीजेपी: अन्ना पाटिल, वाईजी महाजन, सुरेश चंदेल, प्रदीप गांधी, चंद्रपाल, छत्रपाल सिंह
बीएसपी: नरेंद्र कुशवाहा, लालचंद्र, राजाराम पाल
कांग्रेस के राम सेवक और आरजेडी के मनोज कुमार