उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए सूबे में सियासी घमासान अपने चरम पर है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि वह किसी बड़े दल से हाथ नहीं मिलाएंगे। दरअसल उनका इशारा कांग्रेस की तरफ था। क्योंकि पिछले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। दूसरी तरफ, बीजेपी के लिए योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने बीते दिनों साफ कर दिया था कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो सीएम योगी ही बनेंगे।

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लखीमपुर-खीरी घटना के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी की मांग भी तेज हो गई है। हालांकि अभी तक उन्हें सरकार से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया है। लेकिन एक बार यूपी में बीजेपी सरकार के दौरान दो मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। उस समय सूबे के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह थे। कल्याण सिंह के बागी तेवरों के बाद बीजेपी ने यूपी की कमान राजनाथ सिंह को सौंप दी थी। नरेश अग्रवाल को उर्जा मंत्री बनाया गया था। नरेश अग्रवाल अक्सर समर्थन वापस लेने की धमकी देते रहते थे।

नरेश अग्रवाल अक्सर सरकार के खिलाफ बिजली को लेकर भी बयानबाजी कर देते थे। बाद में उनकी बयानबाजी के सहारे ही विपक्ष सरकार को घेरने का प्रयास करता था और सरकार के लिए अक्सर मुश्किल भी खड़ी हो जाती थी। बीजेपी नेता के मनाने के बाद भी नरेश अग्रवाल नहीं माने और उन्होंने हरिद्वार में लोकतांत्रिक कांग्रेस का सम्मेलन बुलाया। यहां उन्होंने बिजली आपूर्ति के लिए सीएम को जिम्मेदार ठहराया। अमर उजाला के मुताबिक, राजनाथ सिंह ने इसके बाद नरेश अग्रवाल को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया और खुद फोन कर इसकी जानकारी भी उन्हें दी।

अमरमणि त्रिपाठी को किया था बर्खास्त: अमरमणि त्रिपाठी, राजनाथ सिंह की सरकार में राज्यमंत्री थे। लेकिन उन्हें भी सीएम राजनाथ ने सरकार से बाहर का रास्ता दिखा दिया था और उनकी बर्खास्तगी का कारण बना था एक व्यापारी के बेटे का अपहरण। लेकिन बाद में उस व्यापारी के बेटे को पुलिस ने अमरमणि त्रिपाठी के कैंट स्थित आवास से बरामद किया था। इसके बाद राजनाथ सिंह ने बिना कुछ सोचे समझे अमरमणि त्रिपाठी को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।