Diabetes and Pregnancy: प्रेग्नेंट महिलाओं को अपना खास ध्यान रखने की जरूरत होती है क्योंकि उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। खासतौर पर तब जब कोई प्रेग्नेंट महिला डायबिटीज की मरीज हो। प्रेग्नेंसी के दौरान यदि डायबिटी होना बच्चे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। तो ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं को अपने खान-पान से लेकर लाइफस्टाइल तक का खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। एक छोटी सी भी लापरवाही मां और बच्चे दोनों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
– कुछ परीक्षण जैसे कि भ्रूण की गति की काउंटिंग, अल्ट्रासाउंड, नॉन-तनाव टेस्टिंग, बायोफिज़िकल प्रोफाइल, डॉपलर फ्लो अध्ययन विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान अनुशंसित हैं।
– भ्रूण के फेफड़ों की परिपक्वता के लिए अम्निओटिक फ्लूइड की जांच के लिए गर्भावस्था के अंतिम कुछ हफ्तों के दौरान एमनियोसेंटेसिस किया जा सकता है, क्योंकि फेफड़े उन शिशुओं में अधिक धीरे-धीरे परिपक्व होते हैं जिनकी माताएं डायबिटीज की शिकार होती हैं। प्रसव का प्रकार इस आधार पर तय किया जाता है कि फेफड़े पर्याप्त परिपक्व हैं या नहीं।
– प्रेग्नेंसी के दौरान, जो महिलाएं डायबिटीज की शिकार होती हैं उन्हें रोजाना दिन और रात में अपने ब्लड शुगर लेवल को चेक करते रहना चाहिए। खाने से पहले उनके ग्लूकोज का लेवल 80 से 110 एमजी/डीएल होना चाहिए और खाने के बाद 155 एमजी/डीएल से नीचे होना चाहिए।
– जिन प्रेग्नेंट महिलाओं के ब्लड में ग्लूकोज का लेवल अधिक होता है उन्हें अपने यूरिन का टेस्ट करवाते रहना चाहिए। यूरिन में किटोंस का बढ़ना घातक साबित हो सकता है। इसके कारण मिसकैरेज होने की संभावना भी अधिक बढ़ जाती है।
प्रेग्नेंट महिलाएं जिन्हें डायबिटीज है उन्हें इन फूड्स को अपनी डाइट में शामिल नहीं करना चाहिए:
– शुगरी फूड्स जैसे- रिफाइन्ड या फिर प्रोसेस्ड फूड्स को भूलकर ना भी अपनी डाइट में शामिल ना करें। स्टार्ची फूड्स को भी खाने से बचना चाहिए। आलू, सफेद चावल, सफेद ब्रेड और सफेद पास्ता स्टार्ची फूड्स में शामिल हैं।
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