हमारे खान-पान का असर हमेशा हमारी सेहत पर पड़ता है। आप जितना अधिक स्वास्थ्यवर्धक खाना खाते हैं शरीर को उतना ही पोषण दे पाते हैं और आपका शरीर उतना ही सेहतमंद बना रहता है। बहुत से लोगों को तला-भुना और तेज मसालेदार खाना अच्छा लगता है। मसालेदार खाना स्वादिष्ट जरुर होता है लेकिन सेहत के लिए फायदे हो ये जरुरी नहीं है। प्रेग्नेंसी में मसालेदार खाना खाने से पहले आपको सावधानी बरतनी चाहिए। आइए जानते हैं कि प्रेंग्नेंसी में मसालेदार खाना कितना सही कितना गलत।

पहली तिमाही –
गर्भावस्था के दौरान शुरुआत के तीन महीने काफी महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान सबसे ज्यादा गर्भपात का खतरा होता है इसलिए अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए। हालांकि मसालेदार खाना खाने से गर्भपात नहीं होता है लेकिन इससे डायरिया और मॉर्निंग सिकनेस जैसी परेशानियां हो सकती है। इन तीन महीनें के दौरान आपको मसालेदार खाने का सेवन कम करना चाहिए।

क्या गर्भस्थ शिशु मसालेदार खाने का स्वाद ले सकता है-
गर्भावस्था के आखिरी दिनों में शिशु खाने के स्वाद को पहचानना शुरु कर देता है और साथ ही अलग-अलग तरह के रिएक्शन भी देता है। बहुत सारी महिलाओं ने यह माना है कि मसालेदार खाना खाने के बाद उनके पेट में पल रहा शिशु लात मारता है या फिर लगातार हिचकी लेता है।

गर्भावस्था के दौरान क्यों ना खाएं मसालेदार खाना-
गर्भावस्था में पाचन शक्ति कम हो जाती है। ऐसे में ब्लोटिंग, गैस और जी की जलन और हॉट फ्लैश जैसी समस्याएं तेजी से पैदा होती है। ये मसालेदार खाना खाने से ये समस्याएं तेजी से पैदा होती है। मसालेदार खाना खाने से शिशु की सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है लेकिन आपको इससे असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में कम मसालेदार खाना खाना ज्यादा बेहतर माना जाता है।