गर्भावस्था एक महिला के लिए बेहद खास समय होता है। इससे उन्हें खुशी तो बहुत होती है लेकिन साथ ही इस दौरान कई शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं का वजन बढ़ जाता है और यह कहीं ना कहीं खतरे का इशारा होता है। मोटापा गर्भधारण करने की प्रक्रिया को कम कर देता है। गर्भधारण करने की योजना करने वाली महिलाओं को मोटापा कम करने की सलाह दी जाती है क्योंकि मोटापा बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए यदि आप गर्भधारण करने की सोच रही हैं तो आपको अपने वजन का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है।
मोटापा गर्भावस्था को कैसे प्रतिबंधित करता है?
मोटापा महिलाओं के शरीर में होने वाले ओव्यूलेशन को बाधित कर देता है। मोटापा के कारण शरीर में एस्ट्रोजेन नामक हार्मोन बढ़ जाता है जो आपके मेंस्ट्रुअल साइकल को अनियमित कर देता है। गर्भधारण के लिए ओव्यूलेशन का समय सबसे अच्छा होता है और यदि एस्ट्रोजेन अधिक बढ़ जाता है तो प्रेग्नेंट होने की संभावना कम हो जाती है।
मोटापा गर्भावस्था को प्रभावित करता है
यदि गर्भवति होने के बाद मोटापा बढ़ता है तो यह मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। मोटापा होने के कारण गर्भपात, मधुमेह और यूरिनरी इंफेक्शन होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। मोटापा के कारण कई बार बच्चा प्रीमैच्योर रह जाता है। इसलिए पूरे 9 महीने तक आपको अपने वजन को लेकर सावधान रहने की जरूरत है।
मोटापा खराब होता है
मोटापा ना चाहते हुए भी गर्भावस्था को प्रभावित कर देता है। कई बार तो मोटापे के कारण मिसकैरेज होने की संभावना भी बढ़ जाती है। यदि आप बच्चे की प्लानिंग कर रही हैं तो सबसे पहले आपको अपने मोटापे को कम करने की आवश्यकता है वरना आपको और बच्चे दोनों को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।